وَكَذٰلِكَ اَنْزَلْنٰهُ حُكْمًا عَرَبِيًّاۗ وَلَىِٕنِ اتَّبَعْتَ اَهْوَاۤءَهُمْ بَعْدَمَا جَاۤءَكَ مِنَ الْعِلْمِۙ مَا لَكَ مِنَ اللّٰهِ مِنْ وَّلِيٍّ وَّلَا وَاقٍ ࣖ ( الرعد: ٣٧ )
Wakathalika anzalnahu hukman 'arabiyyan walaini ittaba'ta ahwaahum ba'da ma jaaka mina al'ilmi ma laka mina Allahi min waliyyin wala waqin (ar-Raʿd 13:37)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और इसी प्रकार हमने इस (क़ुरआन) को एक अरबी फ़रमान के रूप में उतारा है। अब यदि तुम उस ज्ञान के पश्चात भी, जो तुम्हारे पास आ चुका है, उनकी इच्छाओं के पीछे चले तो अल्लाह के मुक़ाबले में न तो तुम्हारा कोई सहायक मित्र होगा और न कोई बचानेवाला
English Sahih:
And thus We have revealed it as an Arabic legislation. And if you should follow their inclinations after what has come to you of knowledge, you would not have against Allah any ally or any protector. ([13] Ar-Ra'd : 37)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और यूँ हमने उस क़ुरान को अरबी (ज़बान) का फरमान नाज़िल फरमाया और (ऐ रसूल) अगर कहीं तुमने इसके बाद को तुम्हारे पास इल्म (क़ुरान) आ चुका उन की नफसियानी ख्वाहिशों की पैरवी कर ली तो (याद रखो कि) फिर ख़ुदा की तरफ से न कोई तुम्हारा सरपरस्त होगा न कोई बचाने वाला