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وَقَدْ مَكَرُوْا مَكْرَهُمْ وَعِنْدَ اللّٰهِ مَكْرُهُمْۗ وَاِنْ كَانَ مَكْرُهُمْ لِتَزُوْلَ مِنْهُ الْجِبَالُ   ( ابراهيم: ٤٦ )

And indeed
وَقَدْ
और तहक़ीक़
they planned
مَكَرُوا۟
उन्होंने चाल चली
their plan
مَكْرَهُمْ
अपनी चाल
but with
وَعِندَ
और पास है
Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह के
(was) their plan
مَكْرُهُمْ
उनकी चाल (का तोड़)
even if
وَإِن
और नहीं
was
كَانَ
थी
their plan
مَكْرُهُمْ
चाल उनकी
that should be moved
لِتَزُولَ
कि टल जाऐं
by it
مِنْهُ
उससे
the mountains
ٱلْجِبَالُ
पहाड़

Waqad makaroo makrahum wa'inda Allahi makruhum wain kana makruhum litazoola minhu aljibalu (ʾIbrāhīm 14:46)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

वे अपनी चाल चल चुक हैं। अल्लाह के पास भी उनके लिए चाल मौजूद थी, यद्यपि उनकी चाल ऐसी ही क्यों न रही हो जिससे पर्वत भी अपने स्थान से टल जाएँ

English Sahih:

And they had planned their plan, but with Allah is [recorded] their plan, even if their plan had been [sufficient] to do away with the mountains. ([14] Ibrahim : 46)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और वह लोग अपनी चालें चलते हैं (और कभी बाज़ न आए) हालॉकि उनकी सब हालतें खुदा की नज़र में थी और अगरचे उनकी मक्कारियाँ (उस गज़ब की) थीं कि उन से पहाड़ (अपनी जगह से) हट जाये