فَاَنْشَأْنَا لَكُمْ بِهٖ جَنّٰتٍ مِّنْ نَّخِيْلٍ وَّاَعْنَابٍۘ لَكُمْ فِيْهَا فَوَاكِهُ كَثِيْرَةٌ وَّمِنْهَا تَأْكُلُوْنَ ۙ ( المؤمنون: ١٩ )
Then We produced
فَأَنشَأْنَا
फिर पैदा किया हम ने
for you
لَكُم
तुम्हारे लिए
by it
بِهِۦ
साथ उसके
gardens
جَنَّٰتٍ
बाग़ात को
of date-palms
مِّن
खजूरों के
of date-palms
نَّخِيلٍ
खजूरों के
and grapevines
وَأَعْنَٰبٍ
और अंगूरों के
for you
لَّكُمْ
तुम्हारे लिए
in it
فِيهَا
इन में
(are) fruits
فَوَٰكِهُ
फल हैं
abundant
كَثِيرَةٌ
बहुत से
and from them
وَمِنْهَا
और इन में से
you eat
تَأْكُلُونَ
तुम खाते हो
Faanshana lakum bihi jannatin min nakheelin waa'nabin lakum feeha fawakihu katheeratun waminha takuloona (al-Muʾminūn 23:19)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर हमने उसके द्वारा तुम्हारे लिए खजूरो और अंगूरों के बाग़ पैदा किए। तुम्हारे लिए उनमें बहुत-से फल है (जिनमें तुम्हारे लिए कितने ही लाभ है) और उनमें से तुम खाते हो
English Sahih:
And We brought forth for you thereby gardens of palm trees and grapevines in which for you are abundant fruits and from which you eat. ([23] Al-Mu'minun : 19)