اَلَّذِيْنَ قَالُوْٓا اِنَّ اللّٰهَ عَهِدَ اِلَيْنَآ اَلَّا نُؤْمِنَ لِرَسُوْلٍ حَتّٰى يَأْتِيَنَا بِقُرْبَانٍ تَأْكُلُهُ النَّارُ ۗ قُلْ قَدْ جَاۤءَكُمْ رُسُلٌ مِّنْ قَبْلِيْ بِالْبَيِّنٰتِ وَبِالَّذِيْ قُلْتُمْ فَلِمَ قَتَلْتُمُوْهُمْ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِيْنَ ( آل عمران: ١٨٣ )
Allatheena qaloo inna Allaha 'ahida ilayna alla numina lirasoolin hatta yatiyana biqurbanin takuluhu alnnaru qul qad jaakum rusulun min qablee bialbayyinati wabiallathee qultum falima qataltumoohum in kutum sadiqeena (ʾĀl ʿImrān 3:183)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
ये वही लोग है जिनका कहना है कि 'अल्लाह ने हमें ताकीद की है कि हम किसी रसूल पर ईमान न लाएँ, जबतक कि वह हमारे सामने ऐसी क़ुरबानी न पेश करे जिसे आग खा जाए।' कहो, 'तुम्हारे पास मुझसे पहले कितने ही रसूल खुली निशानियाँ लेकर आ चुके है, और वे वह चीज़ भी लाए थे जिसके लिए तुम कह रहे हो। फिर यदि तुम सच्चे हो तो तुमने उन्हें क़त्ल क्यों किया?'
English Sahih:
[They are] those who said, "Indeed, Allah has taken our promise not to believe any messenger until he brings us an offering which fire [from heaven] will consume." Say, "There have already come to you messengers before me with clear proofs and [even] that of which you speak. So why did you kill them, if you should be truthful?" ([3] Ali 'Imran : 183)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(यह वही लोग हैं) जो कहते हैं कि ख़ुदा ने तो हमसे वायदा किया है कि जब तक कोई रसूल हमें ये (मौजिज़ा) न दिखा दे कि वह कुरबानी करे और उसको (आसमानी) आग आकर चट कर जाए उस वक्त तक हम ईमान न लाएंगें (ऐ रसूल) तुम कह दो कि (भला) ये तो बताओ बहुतेरे पैग़म्बर मुझसे क़ब्ल तुम्हारे पास वाजे व रौशन मौजिज़ात और जिस चीज़ की तुमने (उस वक्त) फ़रमाइश की है (वह भी) लेकर आए फिर तुम अगर (अपने दावे में) सच्चे तो तुमने क्यों क़त्ल किया