فَاَمَّا الَّذِيْنَ كَفَرُوْا فَاُعَذِّبُهُمْ عَذَابًا شَدِيْدًا فِى الدُّنْيَا وَالْاٰخِرَةِۖ وَمَا لَهُمْ مِّنْ نّٰصِرِيْنَ ( آل عمران: ٥٦ )
Then as for
فَأَمَّا
तो रहे
those who
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
disbelieve[d]
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
then I will punish them
فَأُعَذِّبُهُمْ
तो मैं अज़ाब दूँगा उन्हें
(with) a punishment
عَذَابًا
अज़ाब
severe
شَدِيدًا
सख़्त
in
فِى
दुनिया में
the world
ٱلدُّنْيَا
दुनिया में
and (in) the Hereafter
وَٱلْءَاخِرَةِ
और आख़िरत में
And not
وَمَا
और नहीं होगा
for them
لَهُم
उनके लिए
[of]
مِّن
मददगारों में से कोई
(any) helpers
نَّٰصِرِينَ
मददगारों में से कोई
Faamma allatheena kafaroo fao'aththibuhum 'athaban shadeedan fee alddunya waalakhirati wama lahum min nasireena (ʾĀl ʿImrān 3:56)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
'तो जिन लोगों ने इनकार की नीति अपनाई, उन्हें दुनिया और आख़िरत में कड़ी यातना दूँगा। उनका कोई सहायक न होगा।'
English Sahih:
And as for those who disbelieved, I will punish them with a severe punishment in this world and the Hereafter, and they will have no helpers." ([3] Ali 'Imran : 56)