قَالَ رَجُلَانِ مِنَ الَّذِيْنَ يَخَافُوْنَ اَنْعَمَ اللّٰهُ عَلَيْهِمَا ادْخُلُوْا عَلَيْهِمُ الْبَابَۚ فَاِذَا دَخَلْتُمُوْهُ فَاِنَّكُمْ غٰلِبُوْنَ ەۙ وَعَلَى اللّٰهِ فَتَوَكَّلُوْٓا اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِيْنَ ( المائدة: ٢٣ )
Qala rajulani mina allatheena yakhafoona an'ama Allahu 'alayhima odkhuloo 'alayhimu albaba faitha dakhaltumoohu fainnakum ghaliboona wa'ala Allahi fatawakkaloo in kuntum mumineena (al-Māʾidah 5:23)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उन डरनेवालों में से ही दो व्यक्ति ऐसे भी थे जिनपर अल्लाह का अनुग्रह था। उन्होंने कहा, 'उन लोगों के मुक़ाबले में दरवाज़े से प्रविष्ट हो जाओ। जब तुम उसमें प्रविष्टि हो जाओगे, तो तुम ही प्रभावी होगे। अल्लाह पर भरोसा रखो, यदि तुम ईमानवाले हो।'
English Sahih:
Said two men from those who feared [to disobey] upon whom Allah had bestowed favor, "Enter upon them through the gate, for when you have entered it, you will be predominant. And upon Allah rely, if you should be believers." ([5] Al-Ma'idah : 23)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(मगर) वह आदमी (यूशा कालिब) जो ख़ुदा का ख़ौफ़ रखते थे और जिनपर ख़ुदा ने ख़ास अपना फ़ज़ल (करम) किया था बेधड़क बोल उठे कि (अरे) उनपर हमला करके (बैतुल मुक़दस के फाटक में तो घुस पड़ो फिर देखो तो यह ऐसे बोदे हैं कि) इधर तुम फाटक में घुसे और (ये सब भाग खड़े हुए और) तुम्हारी जीत हो गयी और अगर सच्चे ईमानदार हो तो ख़ुदा ही पर भरोसा रखो