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اِذْ دَخَلُوْا عَلَيْهِ فَقَالُوْا سَلٰمًا ۗقَالَ سَلٰمٌۚ قَوْمٌ مُّنْكَرُوْنَ   ( الذاريات: ٢٥ )

When
إِذْ
जब
they entered
دَخَلُوا۟
वो दाख़िल हुए
upon him
عَلَيْهِ
उस पर
and said
فَقَالُوا۟
तो उन्होंने कहा
"Peace"
سَلَٰمًاۖ
सलाम हो
He said
قَالَ
उसने कहा
"Peace
سَلَٰمٌ
सलाम हो
a people
قَوْمٌ
लोग हो
unknown"
مُّنكَرُونَ
अजनबी

Ith dakhaloo 'alayhi faqaloo salaman qala salamun qawmun munkaroona (aḏ-Ḏāriyāt 51:25)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जब वे उसके पास आए तो कहा, 'सलाम है तुमपर!' उसने भी कहा, 'सलाम है आप लोगों पर भी!' (और जी में कहा) 'ये तो अपरिचित लोग हैं।'

English Sahih:

When they entered upon him and said, "[We greet you with] peace." He answered, "[And upon you] peace; [you are] a people unknown." ([51] Adh-Dhariyat : 25)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तो कहने लगे (सलामुन अलैकुम) तो इबराहीम ने भी (अलैकुम) सलाम किया (देखा तो) ऐसे लोग जिनसे न जान न पहचान