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وَّاَنَّا ظَنَنَّآ اَنْ لَّنْ تَقُوْلَ الْاِنْسُ وَالْجِنُّ عَلَى اللّٰهِ كَذِبًاۙ  ( الجن: ٥ )

And that we
وَأَنَّا
और बेशक हम
thought
ظَنَنَّآ
गुमान किया हमने
that
أَن
कि
never
لَّن
हरगिज़ नहीं
will say
تَقُولَ
कहेंगे
the men
ٱلْإِنسُ
इन्सान
and the jinn
وَٱلْجِنُّ
और जिन्न
against
عَلَى
अल्लाह पर
Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह पर
any lie
كَذِبًا
कोई झूठ

Waanna thananna an lan taqoola alinsu waaljinnu 'ala Allahi kathiban (al-Jinn 72:5)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

'और यह कि हमने समझ रखा था कि मनुष्य और जिन्न अल्लाह के विषय में कभी झूठ नहीं बोलते

English Sahih:

And we had thought that mankind and the jinn would never speak about Allah a lie. ([72] Al-Jinn : 5)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और ये कि हमारा तो ख्याल था कि आदमी और जिन ख़ुदा की निस्बत झूठी बात नहीं बोल सकते