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وَالْاَرْضَ مَدَدْنٰهَا وَاَلْقَيْنَا فِيْهَا رَوَاسِيَ وَاَنْۢبَتْنَا فِيْهَا مِنْ كُلِّ شَيْءٍ مَّوْزُوْنٍ  ( الحجر: ١٩ )

And the earth
وَٱلْأَرْضَ
और ज़मीन को
We have spread it
مَدَدْنَٰهَا
फैला दिया हमने उसे
and [We] cast
وَأَلْقَيْنَا
और डाले हमने
therein
فِيهَا
उसमें
firm mountains
رَوَٰسِىَ
पहाड़
and [We] caused to grow
وَأَنۢبَتْنَا
और उगाई हमने
therein
فِيهَا
उसमें
of
مِن
हर तरह की
every
كُلِّ
हर तरह की
thing
شَىْءٍ
चीज़
well-balanced
مَّوْزُونٍ
मोज़ूं/मुनासिब

Waalarda madadnaha waalqayna feeha rawasiya waanbatna feeha min kulli shayin mawzoonin (al-Ḥijr 15:19)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और हमने धरती को फैलाया और उसमें अटल पहाड़ डाल दिए और उसमें हर चीज़ नपे-तुले अन्दाज़ में उगाई

English Sahih:

And the earth – We have spread it and cast therein firmly set mountains and caused to grow therein [something] of every well-balanced thing. ([15] Al-Hijr : 19)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और ज़मीन को (भी अपने मख़लूक़ात के रहने सहने को) हम ही ने फैलाया और इसमें (कील की तरह) पहाड़ो के लंगर डाल दिए और हमने उसमें हर किस्म की मुनासिब चीज़े उगाई