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وَلَىِٕنْ اَتَيْتَ الَّذِيْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ بِكُلِّ اٰيَةٍ مَّا تَبِعُوْا قِبْلَتَكَ ۚ وَمَآ اَنْتَ بِتَابِعٍ قِبْلَتَهُمْ ۚ وَمَا بَعْضُهُمْ بِتَابِعٍ قِبْلَةَ بَعْضٍۗ وَلَىِٕنِ اتَّبَعْتَ اَهْوَاۤءَهُمْ مِّنْۢ بَعْدِ مَاجَاۤءَكَ مِنَ الْعِلْمِ ۙ اِنَّكَ اِذًا لَّمِنَ الظّٰلِمِيْنَ ۘ   ( البقرة: ١٤٥ )

And even if
وَلَئِنْ
और अलबत्ता अगर
you come
أَتَيْتَ
लाऐं आप (उनके पास)
(to) those who
ٱلَّذِينَ
वो जो
were given
أُوتُوا۟
दिए गए
the Book
ٱلْكِتَٰبَ
किताब
with all
بِكُلِّ
हर
(the) signs
ءَايَةٍ
निशानी
not
مَّا
नहीं
they would follow
تَبِعُوا۟
वो पैरवी करेंगे
your direction of prayer
قِبْلَتَكَۚ
आपके क़िबले की
and not
وَمَآ
और नहीं
(will) you (be)
أَنتَ
आप
a follower
بِتَابِعٍ
पैरवी करने वाले
(of) their direction of prayer
قِبْلَتَهُمْۚ
उनके क़िबले की
And not
وَمَا
और ना
some of them
بَعْضُهُم
बाज़ उनका
(are) followers
بِتَابِعٍ
पैरवी करने वाला है
(of the) direction of prayer
قِبْلَةَ
क़िबले की
(of each) other
بَعْضٍۚ
बाज़ के
And if
وَلَئِنِ
और अलबत्ता अगर
you followed
ٱتَّبَعْتَ
पैरवी की आपने
their desires
أَهْوَآءَهُم
उनकी ख़्वाहिशात की
from
مِّنۢ
बाद उसके
after
بَعْدِ
बाद उसके
[what]
مَا
जो
came to you
جَآءَكَ
आ गया आपके पास
of
مِنَ
इल्म में से
the knowledge
ٱلْعِلْمِۙ
इल्म में से
indeed, you
إِنَّكَ
बेशक आप
(would) then
إِذًا
तब
(be) surely among
لَّمِنَ
ज़रूर ज़ालिमों मे से होंगे
the wrongdoers
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़रूर ज़ालिमों मे से होंगे

Walain atayta allatheena ootoo alkitaba bikulli ayatin ma tabi'oo qiblataka wama anta bitabi'in qiblatahum wama ba'duhum bitabi'in qiblata ba'din walaini ittaba'ta ahwaahum min ba'di ma jaaka mina al'ilmi innaka ithan lamina alththalimeena (al-Baq̈arah 2:145)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

यदि तुम उन लोगों के पास, जिन्हें किताब दी गई थी, कोई भी निशानी ले आओ, फिर भी वे तुम्हारे क़िबले का अनुसरण नहीं करेंगे और तुम भी उसके क़िबले का अनुसरण करने वाले नहीं हो। और वे स्वयं परस्पर एक-दूसरे के क़िबले का अनुसरण करनेवाले नहीं हैं। और यदि तुमने उस ज्ञान के पश्चात, जो तुम्हारे पास आ चुका है, उनकी इच्छाओं का अनुसरण किया, तो निश्चय ही तुम्हारी गणना ज़ालिमों में होगी

English Sahih:

And if you brought to those who were given the Scripture every sign, they would not follow your qiblah. Nor will you be a follower of their qiblah. Nor would they be followers of one another's qiblah. So if you were to follow their desires after what has come to you of knowledge, indeed, you would then be among the wrongdoers. ([2] Al-Baqarah : 145)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और अगर अहले किताब के सामने दुनिया की सारी दलीले पेश कर दोगे तो भी वह तुम्हारे क़िबले को न मानेंगें और न तुम ही उनके क़िबले को मानने वाले हो और ख़ुद अहले किताब भी एक दूसरे के क़िबले को नहीं मानते और जो इल्म क़ुरान तुम्हारे पास आ चुका है उसके बाद भी अगर तुम उनकी ख्वाहिश पर चले तो अलबत्ता तुम नाफ़रमान हो जाओगे