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۞ وَقَالَ الَّذِيْنَ لَا يَرْجُوْنَ لِقَاۤءَنَا لَوْلَآ اُنْزِلَ عَلَيْنَا الْمَلٰۤىِٕكَةُ اَوْ نَرٰى رَبَّنَا ۗ لَقَدِ اسْتَكْبَرُوْا فِيْٓ اَنْفُسِهِمْ وَعَتَوْ عُتُوًّا كَبِيْرًا  ( الفرقان: ٢١ )

And said
وَقَالَ
और कहा
those who
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जो
(do) not
لَا
नहीं वो उम्मीद रखते
expect
يَرْجُونَ
नहीं वो उम्मीद रखते
(the) meeting with Us
لِقَآءَنَا
हमारी मुलाक़ात की
"Why not
لَوْلَآ
क्यों नहीं
are sent down
أُنزِلَ
उतारे गए
to us
عَلَيْنَا
हम पर
the Angels
ٱلْمَلَٰٓئِكَةُ
फ़रिश्ते
or
أَوْ
या
we see
نَرَىٰ
हम देखते
our Lord?"
رَبَّنَاۗ
अपने रब को
Indeed
لَقَدِ
अलबत्ता तहक़ीक़
they have become arrogant
ٱسْتَكْبَرُوا۟
उन्होंने तकब्बुर किया
within
فِىٓ
अपने दिलों में
themselves
أَنفُسِهِمْ
अपने दिलों में
and (become) insolent
وَعَتَوْ
और उन्होंने सरकशी की
(with) insolence
عُتُوًّا
सरकशी
great
كَبِيرًا
बहुत बड़ी

Waqala allatheena la yarjoona liqaana lawla onzila 'alayna almalaikatu aw nara rabbana laqadi istakbaroo fee anfusihim wa'ataw 'utuwwan kabeeran (al-Furq̈ān 25:21)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जिन्हें हमसे मिलने की आशंका नहीं, वे कहते है, 'क्यों न फ़रिश्ते हमपर उतरे या फिर हम अपने रब को देखते?' उन्होंने अपने जी में बड़ा घमंज किया और बड़ी सरकशी पर उतर आए

English Sahih:

And those who do not expect the meeting with Us say, "Why were not angels sent down to us, or [why] do we [not] see our Lord?" They have certainly become arrogant within themselves and [become] insolent with great insolence. ([25] Al-Furqan : 21)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जो लोग (क़यामत में) हमारी हुज़ूरी की उम्मीद नहीं रखते कहा करते हैं कि आख़िर फरिश्ते हमारे पास क्यों नहीं नाज़िल किए गए या हम अपने परवरदिगार को (क्यों नहीं) देखते उन लोगों ने अपने जी में अपने को (बहुत) बड़ा समझ लिया है और बड़ी सरकशी की