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اِتَّخَذُوْٓا اَيْمَانَهُمْ جُنَّةً فَصَدُّوْا عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ فَلَهُمْ عَذَابٌ مُّهِيْنٌ   ( المجادلة: ١٦ )

They have taken
ٱتَّخَذُوٓا۟
उन्होंने बना लिया
their oaths
أَيْمَٰنَهُمْ
अपनी क़समों को
(as) a cover
جُنَّةً
ढाल
so they hinder
فَصَدُّوا۟
फिर उन्होंने रोका
from
عَن
अल्लाह के रास्ते से
(the) way of Allah
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते से
(the) way of Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते से
so for them
فَلَهُمْ
पस उनके लिए
(is) a punishment
عَذَابٌ
अज़ाब है
humiliating
مُّهِينٌ
रुस्वा करने वाला

Ittakhathoo aymanahum junnatan fasaddoo 'an sabeeli Allahi falahum 'athabun muheenun (al-Mujādilah 58:16)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

उन्होंने अपनी क़समों को ढाल बना रखा है। अतः वे अल्लाह के मार्ग से (लोगों को) रोकते है। तो उनके लिए रुसवा करनेवाली यातना है

English Sahih:

They took their [false] oaths as a cover, so they averted [people] from the way of Allah, and for them is a humiliating punishment. ([58] Al-Mujadila : 16)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

उन लोगों ने अपनी क़समों को सिपर बना लिया है और (लोगों को) ख़ुदा की राह से रोक दिया तो उनके लिए रूसवा करने वाला अज़ाब है