ۨالَّذِيْنَ كَانَتْ اَعْيُنُهُمْ فِيْ غِطَاۤءٍ عَنْ ذِكْرِيْ وَكَانُوْا لَا يَسْتَطِيْعُوْنَ سَمْعًا ࣖ ( الكهف: ١٠١ )
Those
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
had been
كَانَتْ
थीं
their eyes
أَعْيُنُهُمْ
आँखें उनकी
within
فِى
पर्दे में
a cover
غِطَآءٍ
पर्दे में
from
عَن
मेरे ज़िक्र से
My remembrance
ذِكْرِى
मेरे ज़िक्र से
and were
وَكَانُوا۟
और थे वो
not
لَا
ना वो इस्तिताअत रखते
able
يَسْتَطِيعُونَ
ना वो इस्तिताअत रखते
(to) hear
سَمْعًا
सुनने की
Allatheena kanat a'yunuhum fee ghitain 'an thikree wakanoo la yastatee'oona sam'an (al-Kahf 18:101)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जिनके नेत्र मेरी अनुस्मृति की ओर से परदे में थे और जो कुछ सुन भी नहीं सकते थे
English Sahih:
Those whose eyes had been within a cover [removed] from My remembrance, and they were not able to hear. ([18] Al-Kahf : 101)