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وَلَقَدْ رَاوَدُوْهُ عَنْ ضَيْفِهٖ فَطَمَسْنَآ اَعْيُنَهُمْ فَذُوْقُوْا عَذَابِيْ وَنُذُرِ   ( القمر: ٣٧ )

And certainly
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
they demanded from him
رَٰوَدُوهُ
उन्होंने फुसलाना चाहा उसे
they demanded from him
عَن
उसके मेहमानों के बारे में
his guests
ضَيْفِهِۦ
उसके मेहमानों के बारे में
so We blinded
فَطَمَسْنَآ
तो मिटा दीं हमने
their eyes
أَعْيُنَهُمْ
आँखें उनकी
"So taste
فَذُوقُوا۟
तो चखो
My punishment
عَذَابِى
अज़ाब मेरा
and My warnings"
وَنُذُرِ
और डराना मेरा

Walaqad rawadoohu 'an dayfihi fatamasna a'yunahum fathooqoo 'athabee wanuthuri (al-Q̈amar 54:37)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

उन्होंने उसे फुसलाकर उसके पास से उसके अतिथियों को बलाना चाहा। अन्ततः हमने उसकी आँखें मेट दीं, 'लो, अब चखो मज़ा मेरी यातना और चेतावनियों का!'

English Sahih:

And they had demanded from him his guests, but We obliterated their eyes, [saying], "Taste My punishment and warning." ([54] Al-Qamar : 37)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और उनसे उनके मेहमान (फ़रिश्ते) के बारे में नाजायज़ मतलब की ख्वाहिश की तो हमने उनकी ऑंखें अन्धी कर दीं तो मेरे अज़ाब और डराने का मज़ा चखो