إِذَا
जब
جَآءَ
आ जाए
نَصْرُ
मदद
ٱللَّهِ
अल्लाह की
وَٱلْفَتْحُ
और फ़तह
Itha jaa nasru Allahi waalfathu
जब अल्लाह की सहायता आ जाए और विजय प्राप्त हो,
وَرَأَيْتَ
और आप देखें
ٱلنَّاسَ
लोगों को
يَدْخُلُونَ
वो दाख़िल हो रहे हैं
فِى
दीन में
دِينِ
दीन में
ٱللَّهِ
अल्लाह के
أَفْوَاجًا
फ़ौज दर फ़ौज
Waraayta alnnasa yadkhuloona fee deeni Allahi afwajan
और तुम लोगों को देखो कि वे अल्लाह के दीन (धर्म) में गिरोह के गिरोह प्रवेश कर रहे है,
فَسَبِّحْ
तो तस्बीह कीजिए
بِحَمْدِ
साथ हम्द के
رَبِّكَ
अपने रब की
وَٱسْتَغْفِرْهُۚ
और बख़्शिश माँगिए उससे
إِنَّهُۥ
बेशक वो
كَانَ
है वो
تَوَّابًۢا
बहुत तौबा क़ुबूल करने वाला
Fasabbih bihamdi rabbika waistaghfirhu innahu kana tawwaban
तो अपने रब की प्रशंसा करो और उससे क्षमा चाहो। निस्संदेह वह बड़ा तौबा क़बूल करनेवाला है
القرآن الكريم: | النصر |
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आयत सजदा (سجدة): | - |
सूरा (latin): | An-Nasr |
सूरा: | 110 |
कुल आयत: | 3 |
कुल शब्द: | 17 |
कुल वर्ण: | 77 |
रुकु: | 1 |
वर्गीकरण: | मदीनन सूरा |
Revelation Order: | 114 |
से शुरू आयत: | 6213 |