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وَإِن
और अगर
فَاتَكُمْ
रह जाए तुमसे
شَىْءٌ
कोई चीज़ (मेहर)
مِّنْ
तुम्हारी बीवियों की
أَزْوَٰجِكُمْ
तुम्हारी बीवियों की
إِلَى
तरफ़ कुफ़्फ़ार के
ٱلْكُفَّارِ
तरफ़ कुफ़्फ़ार के
فَعَاقَبْتُمْ
फिर तुम्हारी बारी आए
فَـَٔاتُوا۟
तो दो
ٱلَّذِينَ
उन लोगों को
ذَهَبَتْ
चली गईं
أَزْوَٰجُهُم
बीवियाँ जिनकी
مِّثْلَ
मानिन्द उसके
مَآ
जो
أَنفَقُوا۟ۚ
उन्होंने ख़र्च किया
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
ٱللَّهَ
अल्लाह से
ٱلَّذِىٓ
वो जो हो
أَنتُم
तुम
بِهِۦ
उस पर
مُؤْمِنُونَ
ईमान लाने वाले

Wain fatakum shayon min azwajikum ila alkuffari fa'aqabtum faatoo allatheena thahabat azwajuhum mithla ma anfaqoo waittaqoo Allaha allathee antum bihi muminoona

और यदि तुम्हारी पत्नि यो (के मह्रों) में से कुछ तुम्हारे हाथ से निकल जाए और इनकार करनेवालों (अधर्मियों) की ओर रह जाए, फिर तुम्हारी नौबत आए, जो जिन लोगों की पत्नियों चली गई है, उन्हें जितना उन्होंने ख़र्च किया हो दे दो। और अल्लाह का डर रखो, जिसपर तुम ईमान रखते हो

Tafseer (तफ़सीर )

يَٰٓأَيُّهَا
ٱلنَّبِىُّ
नबी
إِذَا
जब
جَآءَكَ
आऐं आपके पास
ٱلْمُؤْمِنَٰتُ
मोमिन औरतें
يُبَايِعْنَكَ
वो बैत करें आपसे
عَلَىٰٓ
इस (बात) पर
أَن
कि
لَّا
नहीं वो शरीक ठहराऐंगी
يُشْرِكْنَ
नहीं वो शरीक ठहराऐंगी
بِٱللَّهِ
साथ अल्लाह के
شَيْـًٔا
किसी चीज़ को
وَلَا
और ना
يَسْرِقْنَ
वो चोरी करेंगी
وَلَا
और ना
يَزْنِينَ
वो ज़िना करेंगी
وَلَا
और ना
يَقْتُلْنَ
वो क़त्ल करेंगी
أَوْلَٰدَهُنَّ
अपनी औलाद को
وَلَا
और ना
يَأْتِينَ
वो आऐंगी
بِبُهْتَٰنٍ
किसी बोहतान को
يَفْتَرِينَهُۥ
वो गढ़ लें जिसे
بَيْنَ
दर्मियान
أَيْدِيهِنَّ
अपने हाथों
وَأَرْجُلِهِنَّ
और अपने पाँव के
وَلَا
और ना
يَعْصِينَكَ
वो नाफ़रमानी करेंगी आपकी
فِى
किसी मारूफ़ में
مَعْرُوفٍۙ
किसी मारूफ़ में
فَبَايِعْهُنَّ
तो बैत कर लीजिए उनसे
وَٱسْتَغْفِرْ
और बख़्शिश माँगिए
لَهُنَّ
उनके लिए
ٱللَّهَۖ
अल्लाह से
إِنَّ
बेशक
ٱللَّهَ
अल्लाह
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
رَّحِيمٌ
निहायत रहम करने वाला है

Ya ayyuha alnnabiyyu itha jaaka almuminatu yubayi'naka 'ala an la yushrikna biAllahi shayan wala yasriqna wala yazneena wala yaqtulna awladahunna wala yateena bibuhtanin yaftareenahu bayna aydeehinna waarjulihinna wala ya'seenaka fee ma'roofin fabayi'hunna waistaghfir lahunna Allaha inna Allaha ghafoorun raheemun

ऐ नबी! जब तुम्हारे पास ईमानवाली स्त्रियाँ आकर तुमसे इसपर 'बैअत' करे कि वे अल्लाह के साथ किसी चीज़ को साझी नहीं ठहराएँगी और न चोरी करेंगी और न व्यभिचार करेंगी, और न अपनी औलाद की हत्या करेंगी और न अपने हाथों और पैरों को बीच कोई आरोप घड़कर लाएँगी. और न किसी भले काम में तुम्हारी अवज्ञा करेंगी, तो उनसे 'बैअत' ले लो और उनके लिए अल्लाह से क्षमा की प्रार्थना करो। निश्चय ही अत्यन्त बहुत क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है

Tafseer (तफ़सीर )

يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
لَا
ना तुम दोस्त बनाओ
تَتَوَلَّوْا۟
ना तुम दोस्त बनाओ
قَوْمًا
ऐसी क़ौम को
غَضِبَ
नाराज़ हुआ
ٱللَّهُ
अल्लाह
عَلَيْهِمْ
जिन पर
قَدْ
तहक़ीक़
يَئِسُوا۟
वो मायूस हो गए
مِنَ
आख़िरत से
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत से
كَمَا
जैसा कि
يَئِسَ
मायूस हुए
ٱلْكُفَّارُ
काफ़िर
مِنْ
क़ब्रों वालों से
أَصْحَٰبِ
क़ब्रों वालों से
ٱلْقُبُورِ
क़ब्रों वालों से

Ya ayyuha allatheena amanoo la tatawallaw qawman ghadiba Allahu 'alayhim qad yaisoo mina alakhirati kama yaisa alkuffaru min ashabi alquboori

ऐ ईमान लानेवालो! ऐसे लोगों से मित्रता न करो जिनपर अल्लाह का प्रकोप हुआ, वे आख़िरत से निराश हो चुके है, जिस प्रकार इनकार करनेवाले क़ब्रवालों से निराश हो चुके है

Tafseer (तफ़सीर )