قُلْ
कह दीजिए
أَعُوذُ
मैं पनाह लेता हूँ
بِرَبِّ
रब की
ٱلْفَلَقِ
सुबह के
Qul a'oothu birabbi alfalaqi
कहो, 'मैं शरण लेता हूँ, प्रकट करनेवाले रब की,
مِن
हर उस चीज़ के शर से
شَرِّ
हर उस चीज़ के शर से
مَا
जो
خَلَقَ
उसने पैदा की
Min sharri ma khalaqa
जो कुछ भी उसने पैदा किया उसकी बुराई से,
وَمِن
और शर से
شَرِّ
और शर से
غَاسِقٍ
अँधेरी रात के
إِذَا
जब
وَقَبَ
वो फैल जाए
Wamin sharri ghasiqin itha waqaba
और अँधेरे की बुराई से जबकि वह घुस आए,
وَمِن
और शर से
شَرِّ
और शर से
ٱلنَّفَّٰثَٰتِ
फूँकने वालियों के
فِى
गिरहोंमें
ٱلْعُقَدِ
गिरहोंमें
Wamin sharri alnnaffathati fee al'uqadi
और गाँठो में फूँक मारने-वालों की बुराई से,
وَمِن
और शर से
شَرِّ
और शर से
حَاسِدٍ
हासिद के
إِذَا
जब
حَسَدَ
वो हसद रे
Wamin sharri hasidin itha hasada
और ईर्ष्यालु की बुराई से, जब वह ईर्ष्या करे।'
القرآن الكريم: | الفلق |
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आयत सजदा (سجدة): | - |
सूरा (latin): | Al-Falaq |
सूरा: | 113 |
कुल आयत: | 5 |
कुल शब्द: | 23 |
कुल वर्ण: | 74 |
रुकु: | 1 |
वर्गीकरण: | मक्कन सूरा |
Revelation Order: | 20 |
से शुरू आयत: | 6225 |