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وَإِذَآ
और जब
أَنْعَمْنَا
इनआम करते हैं हम
عَلَى
इन्सान पर
ٱلْإِنسَٰنِ
इन्सान पर
أَعْرَضَ
वो ऐराज़ करता है
وَنَـَٔا
और वो फेर लेता है
بِجَانِبِهِۦ
पहलू अपना
وَإِذَا
और जब
مَسَّهُ
पहुँचती है उसे
ٱلشَّرُّ
तक्लीफ़
فَذُو
तो दुआ करने वाला हो जाता है
دُعَآءٍ
तो दुआ करने वाला हो जाता है
عَرِيضٍ
लम्बी चौड़ी

Waitha an'amna 'ala alinsani a'rada wanaa bijanibihi waitha massahu alshsharru fathoo du'ain 'areedin

जब हम मनुष्य पर अनुकम्पा करते है तो वह ध्यान में नहीं लाता और अपना पहलू फेर लेता है। किन्तु जब उसे तकलीफ़ छू जाती है, तो वह लम्बी-चौड़ी प्रार्थनाएँ करने लगता है

Tafseer (तफ़सीर )

قُلْ
कह दीजिए
أَرَءَيْتُمْ
क्या ग़ौर किया तुमने
إِن
अगर
كَانَ
है वो
مِنْ
अल्लाह की तरफ़ से
عِندِ
अल्लाह की तरफ़ से
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
ثُمَّ
फिर
كَفَرْتُم
कुफ़्र किया तुमने
بِهِۦ
उसका
مَنْ
कौन
أَضَلُّ
ज़्यादा भटका हुआ है
مِمَّنْ
उससे जो
هُوَ
वो
فِى
मुख़ालफ़त में है
شِقَاقٍۭ
मुख़ालफ़त में है
بَعِيدٍ
बहुत दूर की

Qul araaytum in kana min 'indi Allahi thumma kafartum bihi man adallu mimman huwa fee shiqaqin ba'eedin

कह दो, 'क्या तुमने विचार किया, यदि वह (क़ुरआन) अल्लाह की ओर सो ही हुआ और तुमने उसका इनकार किया तो उससे बढ़कर भटका हुआ और कौन होगा जो विरोध में बहुत दूर जा पड़ा हो?'

Tafseer (तफ़सीर )

سَنُرِيهِمْ
अनक़रीब हम दिखाएँगे उन्हे
ءَايَٰتِنَا
निशानियाँ अपनी
فِى
आफ़ाक़ / अतराफ़ में
ٱلْءَافَاقِ
आफ़ाक़ / अतराफ़ में
وَفِىٓ
और उनके नफ़्सों में
أَنفُسِهِمْ
और उनके नफ़्सों में
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
يَتَبَيَّنَ
वाज़ेह हो जाएगा
لَهُمْ
उनके लिए
أَنَّهُ
कि बेशक वो
ٱلْحَقُّۗ
हक़ है
أَوَلَمْ
क्या भला नहीं
يَكْفِ
काफ़ी
بِرَبِّكَ
आपका रब (उस पर)
أَنَّهُۥ
कि बेशक वो
عَلَىٰ
ऊपर
كُلِّ
हर
شَىْءٍ
चीज़ के
شَهِيدٌ
ख़ूब गवाह है

Sanureehim ayatina fee alafaqi wafee anfusihim hatta yatabayyana lahum annahu alhaqqu awalam yakfi birabbika annahu 'ala kulli shayin shaheedun

शीघ्र ही हम उन्हें अपनी निशानियाँ वाह्य क्षेत्रों में दिखाएँगे और स्वयं उनके अपने भीतर भी, यहाँ तक कि उनपर स्पष्टा हो जाएगा कि वह (क़ुरआन) सत्य है। क्या तुम्हारा रब इस दृष्टि, से काफ़ी नहीं कि वह हर चीज़ का साक्षी है

Tafseer (तफ़सीर )

أَلَآ
ख़बरदार
إِنَّهُمْ
बेशक वो
فِى
शक में हैं
مِرْيَةٍ
शक में हैं
مِّن
मुलाक़ात से
لِّقَآءِ
मुलाक़ात से
رَبِّهِمْۗ
अपने रब की
أَلَآ
ख़बरदार
إِنَّهُۥ
बेशक वो
بِكُلِّ
हर
شَىْءٍ
चीज़ का
مُّحِيطٌۢ
एहाता करने वाला है

Ala innahum fee miryatin min liqai rabbihim ala innahu bikulli shayin muheetun

जान लो कि वे लोग अपने रब से मिलन के बारे में संदेह में पड़े हुए है। जान लो कि निश्चय ही वह हर चीज़ को अपने घेरे में लिए हुए है

Tafseer (तफ़सीर )