Ya ayyuha almuzzammilu
ऐ कपड़े में लिपटनेवाले!
Qumi allayla illa qaleelan
रात को उठकर (नमाज़ में) खड़े रहा करो - सिवाय थोड़ा हिस्सा -
Nisfahu awi onqus minhu qaleelan
आधी रात
Aw zid 'alayhi warattili alqurana tarteelan
या उससे कुछ थोड़ा कम कर लो या उससे कुछ अधिक बढ़ा लो और क़ुरआन को भली-भाँति ठहर-ठहरकर पढ़ो। -
Inna sanulqee 'alayka qawlan thaqeelan
निश्चय ही हम तुमपर एक भारी बात डालनेवाले है
Inna nashiata allayli hiya ashaddu watan waaqwamu qeelan
निस्संदेह रात का उठना अत्यन्त अनुकूलता रखता है और बात भी उसमें अत्यन्त सधी हुई होती है
Inna laka fee alnnahari sabhan taweelan
निश्चय ही तुम्हार लिए दिन में भी (तसबीह की) बड़ी गुंजाइश है। -
Waothkuri isma rabbika watabattal ilayhi tabteelan
और अपने रब के नाम का ज़िक्र किया करो और सबसे कटकर उसी के हो रहो।
Rabbu almashriqi waalmaghribi la ilaha illa huwa faittakhithhu wakeelan
वह पूर्व और पश्चिम का रब है, उसके सिवा कोई इष्ट-पूज्य नहीं, अतः तुम उसी को अपना कार्यसाधक बना लो
Waisbir 'ala ma yaqooloona waohjurhum hajran jameelan
और जो कुछ वे कहते है उसपर धैर्य से काम लो और भली रीति से उनसे अलग हो जाओ
القرآن الكريم: | المزمل |
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आयत सजदा (سجدة): | - |
सूरा (latin): | Al-Muzzammil |
सूरा: | 73 |
कुल आयत: | 20 |
कुल शब्द: | 285 |
कुल वर्ण: | 838 |
रुकु: | 2 |
वर्गीकरण: | मक्कन सूरा |
Revelation Order: | 3 |
से शुरू आयत: | 5475 |