Inna Allaha ishtara mina almumineena anfusahum waamwalahum bianna lahumu aljannata yuqatiloona fee sabeeli Allahi fayaqtuloona wayuqtaloona wa'dan 'alayhi haqqan fee alttawrati waalinjeeli waalqurani waman awfa bi'ahdihi mina Allahi faistabshiroo bibay'ikumu allathee baya'tum bihi wathalika huwa alfawzu al'atheemu
निस्संदेह अल्लाह ने ईमानवालों से उनके प्राण और उनके माल इसके बदले में खरीद लिए है कि उनके लिए जन्नत है। वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते है, तो वे मारते भी है और मारे भी जाते है। यह उनके ज़िम्मे तौरात, इनजील और क़ुरआन में (किया गया) एक पक्का वादा है। और अल्लाह से बढ़कर अपने वादे को पूरा करनेवाला हो भी कौन सकता है? अतः अपने उस सौदे पर खु़शियाँ मनाओ, जो सौदा तुमने उससे किया है। और यही सबसे बड़ी सफलता है
Alttaiboona al'abidoona alhamidoona alssaihoona alrraki'oona alssajidoona alamiroona bialma'roofi waalnnahoona 'ani almunkari waalhafithoona lihudoodi Allahi wabashshiri almumineena
वे ऐसे हैं, जो तौबा करते हैं, बन्दगी करते है, स्तुति करते हैं, (अल्लाह के मार्ग में) भ्रमण करते हैं, (अल्लाह के आगे) झुकते है, सजदा करते है, भलाई का हुक्म देते है और बुराई से रोकते हैं और अल्लाह की निर्धारित सीमाओं की रक्षा करते हैं -और इन ईमानवालों को शुभ-सूचना दे दो
Ma kana lilnnabiyyi waallatheena amanoo an yastaghfiroo lilmushrikeena walaw kanoo olee qurba min ba'di ma tabayyana lahum annahum ashabu aljaheemi
नबी और ईमान लानेवालों के लिए उचित नहीं कि वे बहुदेववादियों के लिए क्षमा की प्रार्थना करें, यद्यपि वे उसके नातेदार ही क्यों न हो, जबकि उनपर यह बात खुल चुकी है कि वे भड़कती आगवाले हैं
Wama kana istighfaru ibraheema liabeehi illa 'an maw'idatin wa'adaha iyyahu falamma tabayyana lahu annahu 'aduwwun lillahi tabarraa minhu inna ibraheema laawwahun haleemun
इबराहीम ने अपने बाप के लिए जो क्षमा की प्रार्थना की थी, वह तो केवल एक वादे के कारण की थी, जो वादा वह उससे कर चुका था। फिर जब उसपर यह बात खुल गई कि वह अल्लाह का शत्रु है तो वह उससे विरक्त हो गया। वास्तव में, इबराहीम बड़ा ही कोमल हृदय, अत्यन्त सहनशील था
Wama kana Allahu liyudilla qawman ba'da ith hadahum hatta yubayyina lahum ma yattaqoona inna Allaha bikulli shayin 'aleemun
अल्लाह ऐसा नहीं कि लोगों को पथभ्रष्ट ठहराए, जबकि वह उनको राह पर ला चुका हो, जब तक कि उन्हें साफ़-साफ़ वे बातें बता न दे, जिनसे उन्हें बचना है। निस्संदेह अल्लाह हर चीज़ को भली-भाँति जानता है
Inna Allaha lahu mulku alssamawati waalardi yuhyee wayumeetu wama lakum min dooni Allahi min waliyyin wala naseerin
आकाशों और धरती का राज्य अल्लाह ही का है, वही जिलाता है और मारता है। अल्लाह से हटकर न तुम्हारा कोई मित्र है और न सहायक
Laqad taba Allahu 'ala alnnabiyyi waalmuhajireena waalansari allatheena ittaba'oohu fee sa'ati al'usrati min ba'di ma kada yazeeghu quloobu fareeqin minhum thumma taba 'alayhim innahu bihim raoofun raheemun
अल्लाह नबी पर मेहरबान हो गया और मुहाजिरों और अनसार पर भी, जिन्होंने तंगी की घड़ी में उसका साथ दिया, इसके पश्चात कि उनमें से एक गिरोह के दिल कुटिलता की ओर झुक गए थे। फिर उसने उनपर दया-दृष्टि दर्शाई। निस्संदेह, वह उनके लिए अत्यन्त करुणामय, दयावान है
Wa'ala alththalathati allatheena khullifoo hatta itha daqat 'alayhimu alardu bima rahubat wadaqat 'alayhim anfusuhum wathannoo an la maljaa mina Allahi illa ilayhi thumma taba 'alayhim liyatooboo inna Allaha huwa alttawwabu alrraheemu
और उन तीनों पर भी जो पीछे छोड़ दिए गए थे, यहाँ तक कि जब धरती विशाल होते हुए भी उनपर तंग हो गई और उनके प्राण उनपर दुभर हो गए और उन्होंने समझा कि अल्लाह से बचने के लिए कोई शरण नहीं मिल सकती है तो उसी के यहाँ। फिर उसने उनपर कृपा-दृष्टि की ताकि वे पलट आएँ। निस्संदेह अल्लाह ही तौबा क़बूल करनेवाला, अत्यन्त दयावान है
Ya ayyuha allatheena amanoo ittaqoo Allaha wakoonoo ma'a alssadiqeena
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह का डर रखों और सच्चे लोगों के साथ हो जाओ
Ma kana liahli almadeenati waman hawlahum mina ala'rabi an yatakhallafoo 'an rasooli Allahi wala yarghaboo bianfusihim 'an nafsihi thalika biannahum la yuseebuhum thamaon wala nasabun wala makhmasatun fee sabeeli Allahi wala yataoona mawtian yagheethu alkuffara wala yanaloona min 'aduwwin naylan illa kutiba lahum bihi 'amalun salihun inna Allaha la yudee'u ajra almuhsineena
मदीनावालों और उसके आसपास के बद्दूहओं को ऐसा नहीं चाहिए था कि अल्लाह के रसूल को छोड़कर पीछे रह जाएँ और न यह कि उसकी जान के मुक़ाबले में उन्हें अपनी जान अधिक प्रिय हो, क्योंकि वह अल्लाह के मार्ग में प्यास या थकान या भूख की कोई भी तकलीफ़ उठाएँ या किसी ऐसी जगह क़दम रखें, जिससे काफ़िरों का क्रोध भड़के या जो चरका भी वे शत्रु को लगाएँ, उसपर उनके हक में अनिवार्यतः एक सुकर्म लिख लिया जाता है। निस्संदेह अल्लाह उत्तमकार का कर्मफल अकारथ नहीं जाने देता