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وَإِن
और अगर
كَذَّبُوكَ
वो झुठलाऐं आपको
فَقُل
तो कह दीजिए
لِّى
मेरे लिए है
عَمَلِى
अमल मेरा
وَلَكُمْ
और तुम्हारे लिए है
عَمَلُكُمْۖ
अमल तुम्हरा
أَنتُم
तुम
بَرِيٓـُٔونَ
बरी उज़ ज़िम्मा हो
مِمَّآ
उससे जो
أَعْمَلُ
मैं अमल करता हूँ
وَأَنَا۠
और मैं
بَرِىٓءٌ
बरी उज़ ज़िम्मा हूँ
مِّمَّا
उससे जो
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो

Wain kaththabooka faqul lee 'amalee walakum 'amalukum antum bareeoona mimma a'malu waana bareeon mimma ta'maloona

और यदि वे तुझे झुठलाएँ तो कह दो, 'मेरा कर्म मेरे लिए है और तुम्हारा कर्म तुम्हारे लिए। जो कुछ मैं करता हूँ उसकी ज़िम्मेदारी से तुम बरी हो और जो कुछ तुम करते हो उसकी ज़िम्मेदारी से मैं बरी हूँ।'

Tafseer (तफ़सीर )

وَمِنْهُم
और कुछ उनमें से हैं
مَّن
जो
يَسْتَمِعُونَ
कान लगाते हैं
إِلَيْكَۚ
तरफ़ आपके
أَفَأَنتَ
क्या फिर आप
تُسْمِعُ
सुनाऐंगे
ٱلصُّمَّ
बहरों को
وَلَوْ
और अगरचे
كَانُوا۟
हों वो
لَا
ना वो अक़्ल रखते
يَعْقِلُونَ
ना वो अक़्ल रखते

Waminhum man yastami'oona ilayka afaanta tusmi'u alssumma walaw kanoo la ya'qiloona

और उनमें बहुत-से ऐसे लोग है जो तेरी ओर कान लगाते है। किन्तु क्या तू बहरों को सुनाएगा, चाहे वे समझ न रखते हों?

Tafseer (तफ़सीर )

وَمِنْهُم
और उनमें से कोई है
مَّن
जो
يَنظُرُ
देखता है
إِلَيْكَۚ
तरफ़ आपके
أَفَأَنتَ
क्या फिर आप
تَهْدِى
राह दिखाऐंगे
ٱلْعُمْىَ
अँधों को
وَلَوْ
और अगरचे
كَانُوا۟
हों वो
لَا
ना वो देखते
يُبْصِرُونَ
ना वो देखते

Waminhum man yanthuru ilayka afaanta tahdee al'umya walaw kanoo la yubsiroona

और कुछ उनमें ऐसे हैं, जो तेरी ओर ताकते हैं, किन्तु क्या तू अंधों का मार्ग दिखाएगा, चाहे उन्हें कुछ सूझता न हो?

Tafseer (तफ़सीर )

إِنَّ
बेशक
ٱللَّهَ
अल्लाह
لَا
नहीं ज़ुल्म करता
يَظْلِمُ
नहीं ज़ुल्म करता
ٱلنَّاسَ
लोगों पर
شَيْـًٔا
कुछ भी
وَلَٰكِنَّ
और लेकिन
ٱلنَّاسَ
लोग
أَنفُسَهُمْ
अपनी ही जानों पर
يَظْلِمُونَ
वो ज़ुल्म करते हैं

Inna Allaha la yathlimu alnnasa shayan walakinna alnnasa anfusahum yathlimoona

अल्लाह तो लोगों पर तनिक भी अत्याचार नहीं करता, किन्तु लोग स्वयं ही अपने ऊपर अत्याचार करते है

Tafseer (तफ़सीर )

وَيَوْمَ
और जिस दिन
يَحْشُرُهُمْ
वो इकट्ठा करेगा उन्हें
كَأَن
गोया कि
لَّمْ
नहीं
يَلْبَثُوٓا۟
वो ठहरे
إِلَّا
मगर
سَاعَةً
एक घड़ी
مِّنَ
दिन की
ٱلنَّهَارِ
दिन की
يَتَعَارَفُونَ
वो एक दूसरे को पहचानते रहे
بَيْنَهُمْۚ
आपस में
قَدْ
तहक़ीक़
خَسِرَ
ख़सारा पाया
ٱلَّذِينَ
जिन्होंने
كَذَّبُوا۟
झुठलाया
بِلِقَآءِ
मुलाक़ात को
ٱللَّهِ
अल्लाह की
وَمَا
और ना
كَانُوا۟
थे वो
مُهْتَدِينَ
हिदायत पाने वाले

Wayawma yahshuruhum kaan lam yalbathoo illa sa'atan mina alnnahari yata'arafoona baynahum qad khasira allatheena kaththaboo biliqai Allahi wama kanoo muhtadeena

जिस दिन वह उनको इकट्ठा करेगा तो ऐसा जान पड़ेगा जैसे वे दिन की एक घड़ी भर ठहरे थे। वे परस्पर एक-दूसरे को पहचानेंगे। वे लोग घाटे में पड़ गए, जिन्होंने अल्लाह से मिलने को झुठलाया और वे मार्ग न पा सके

Tafseer (तफ़सीर )

وَإِمَّا
और अगर
نُرِيَنَّكَ
हम दिखाऐं आपको
بَعْضَ
बाज़
ٱلَّذِى
वो चीज़ जो
نَعِدُهُمْ
हम वादा करते हैं उनसे
أَوْ
या
نَتَوَفَّيَنَّكَ
हम फ़ौत कर दें आपको
فَإِلَيْنَا
तो तरफ़ हमारे ही
مَرْجِعُهُمْ
लौटना है उनको
ثُمَّ
फिर
ٱللَّهُ
अल्लाह
شَهِيدٌ
ख़ूब गवाह है
عَلَىٰ
उस पर
مَا
जो
يَفْعَلُونَ
वो करते हैं

Waimma nuriyannaka ba'da allathee na'iduhum aw natawaffayannaka failayna marji'uhum thumma Allahu shaheedun 'ala ma yaf'aloona

जिस चीज़ का हम उनसे वादा करते है उसमें से कुछ चाहे तुझे दिखा दें या हम तुझे (इससे पहले) उठा लें, उन्हें तो हमारी ओर लौटकर आना ही है। फिर जो कुछ वे कर रहे है उसपर अल्लाह गवाह है

Tafseer (तफ़सीर )

وَلِكُلِّ
और वास्ते हर
أُمَّةٍ
उम्मत के
رَّسُولٌۖ
एक रसूल है
فَإِذَا
फिर जब
جَآءَ
आ जाता है
رَسُولُهُمْ
रसूल उनका
قُضِىَ
फ़ैसला कर दिया जाता है
بَيْنَهُم
दर्मियान उनके
بِٱلْقِسْطِ
साथ इन्साफ़ के
وَهُمْ
और वो
لَا
नहीं वो ज़ुल्म किए जाते
يُظْلَمُونَ
नहीं वो ज़ुल्म किए जाते

Walikulli ommatin rasoolun faitha jaa rasooluhum qudiya baynahum bialqisti wahum la yuthlamoona

प्रत्येक समुदाय के लिए एक रसूल है। फिर जब उनके पास उनका रसूल आ जाता है तो उनके बीच न्यायपूर्वक फ़ैसला कर दिया जाता है। उनपर कुछ भी अत्याचार नहीं किया जाता

Tafseer (तफ़सीर )

وَيَقُولُونَ
और वो कहते हैं
مَتَىٰ
कब होगा
هَٰذَا
ये वादा
ٱلْوَعْدُ
ये वादा
إِن
अगर
كُنتُمْ
हो तुम
صَٰدِقِينَ
सच्चे

Wayaqooloona mata hatha alwa'du in kuntum sadiqeena

वे कहते है, 'यदि तुम सच्चे हो तो यह वादा कब पूरा होगा?'

Tafseer (तफ़सीर )

قُل
कह दीजिए
لَّآ
नहीं मैं मालिक
أَمْلِكُ
नहीं मैं मालिक
لِنَفْسِى
अपनी जान के लिए
ضَرًّا
किसी नुक़सान का
وَلَا
और ना
نَفْعًا
किसी नफ़ा का
إِلَّا
मगर
مَا
जो
شَآءَ
चाहे
ٱللَّهُۗ
अल्लाह
لِكُلِّ
वास्ते हर
أُمَّةٍ
उम्मत के
أَجَلٌۚ
एक मुक़र्रर मुद्दत है
إِذَا
जब
جَآءَ
आ जाएगी
أَجَلُهُمْ
मुक़र्रर मुद्दत उनकी
فَلَا
तो नहीं
يَسْتَـْٔخِرُونَ
वो पीछे रह सकेंगे
سَاعَةًۖ
एक घड़ी
وَلَا
और ना
يَسْتَقْدِمُونَ
वो आगे बढ़ सकेंगे

Qul la amliku linafsee darran wala naf'an illa ma shaa Allahu likulli ommatin ajalun itha jaa ajaluhum fala yastakhiroona sa'atan wala yastaqdimoona

कहो, 'मुझे अपने लिए न तो किसी हानि का अधिकार प्राप्त है और न लाभ का, बल्कि अल्लाह जो चाहता है वही होता है। हर समुदाय के लिए एक नियत समय है, जब उनका नियत समय आ जाता है तो वे न घड़ी भर पीछे हट सकते है और न आगे बढ़ सकते है।'

Tafseer (तफ़सीर )

قُلْ
कह दीजिए
أَرَءَيْتُمْ
क्या ग़ौर किया तुमने
إِنْ
अगर
أَتَىٰكُمْ
आ जाए तुम्हारे पास
عَذَابُهُۥ
अज़ाब उसका
بَيَٰتًا
रात को
أَوْ
या
نَهَارًا
दिन को
مَّاذَا
क़्या है
يَسْتَعْجِلُ
वो जल्दी तलब कर रहे हैं (जो)
مِنْهُ
उसमें से
ٱلْمُجْرِمُونَ
मुजरिम

Qul araaytum in atakum 'athabuhu bayatan aw naharan matha yasta'jilu minhu almujrimoona

कहो, 'क्या तुमने यह भी सोचा कि यदि तुमपर उसकी यातना रातों रात या दिन को आ जाए तो (क्या तुम उसे टाल सकोगे?) वह आख़िर कौन-सी चीज़ होगी जिसके लिए अपराधियों को जल्दी पड़ी हुई है?

Tafseer (तफ़सीर )