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سَنُلْقِى
अनक़रीब हम डाल देंगे
فِى
दिलों में
قُلُوبِ
दिलों में
ٱلَّذِينَ
उनके जिन्होंने
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
ٱلرُّعْبَ
रौब को
بِمَآ
बवजह उसके जो
أَشْرَكُوا۟
उन्होंने शरीक ठहराया
بِٱللَّهِ
साथ अल्लाह के
مَا
उसको जो
لَمْ
नहीं
يُنَزِّلْ
उसने नाज़िल की
بِهِۦ
जिसकी
سُلْطَٰنًاۖ
कोई दलील
وَمَأْوَىٰهُمُ
और ठिकाना उनका
ٱلنَّارُۚ
आग है
وَبِئْسَ
और कितना बुरा है
مَثْوَى
ठिकाना
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों का

Sanulqee fee quloobi allatheena kafaroo alrru'ba bima ashrakoo biAllahi ma lam yunazzil bihi sultanan wamawahumu alnnaru wabisa mathwa alththalimeena

हम शीघ्र ही इनकार करनेवालों के दिलों में धाक बिठा देंगे, इसलिए कि उन्होंने ऐसी चीज़ो को अल्लाह का साक्षी ठहराया है जिनसे साथ उसने कोई सनद नहीं उतारी, और उनका ठिकाना आग (जहन्नम) है। और अत्याचारियों का क्या ही बुरा ठिकाना है

Tafseer (तफ़सीर )

وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
صَدَقَكُمُ
सच्चा कर दिखाया तुमसे
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
وَعْدَهُۥٓ
वादा अपना
إِذْ
जब
تَحُسُّونَهُم
तुम क़त्ल कर रहे थे उन्हें
بِإِذْنِهِۦۖ
उसके इज़्न से
حَتَّىٰٓ
यहाँ तक कि
إِذَا
जब
فَشِلْتُمْ
बुज़दिली दिखाई तुमने
وَتَنَٰزَعْتُمْ
और झगड़ा किया तुमने
فِى
हुक्म के बारे में (रसूल के)
ٱلْأَمْرِ
हुक्म के बारे में (रसूल के)
وَعَصَيْتُم
और नाफ़रमानी की तुमने
مِّنۢ
बाद उसके
بَعْدِ
बाद उसके
مَآ
जो
أَرَىٰكُم
उसने दिखाया तुम्हें
مَّا
वो जो
تُحِبُّونَۚ
तुम पसंद करते हो
مِنكُم
तुम में से कोई है
مَّن
जो
يُرِيدُ
चाहता है
ٱلدُّنْيَا
दुनिया को
وَمِنكُم
और तुम में से कोई है
مَّن
जो
يُرِيدُ
चाहता है
ٱلْءَاخِرَةَۚ
आख़िरत को
ثُمَّ
फिर
صَرَفَكُمْ
उसने फेर दिया तुम्हें
عَنْهُمْ
उनसे
لِيَبْتَلِيَكُمْۖ
ताकि वो आज़माए तुम्हें
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
عَفَا
उसने दरगुज़र किया
عَنكُمْۗ
तुमसे
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
ذُو
फ़ज़ल वाला है
فَضْلٍ
फ़ज़ल वाला है
عَلَى
मोमिनों पर
ٱلْمُؤْمِنِينَ
मोमिनों पर

Walaqad sadaqakumu Allahu wa'dahu ith tahussoonahum biithnihi hatta itha fashiltum watanaza'tum fee alamri wa'asaytum min ba'di ma arakum ma tuhibboona minkum man yureedu alddunya waminkum man yureedu alakhirata thumma sarafakum 'anhum liyabtaliyakum walaqad 'afa 'ankum waAllahu thoo fadlin 'ala almumineena

और अल्लाह ने तो तुम्हें अपना वादा सच्चा कर दिखाया, जबकि तुम उसकी अनुज्ञा से उन्हें क़त्ल कर रहे थे। यहाँ तक कि जब तुम स्वयं ढीले पड़ गए और काम में झगड़ा डाल दिया और अवज्ञा की, जबकि अल्लाह ने तुम्हें वह चीज़ दिखा दी थी जिसकी तुम्हें चाह थी। तुममें कुछ लोग दुनिया चाहते थे और कुछ आख़िरत के इच्छुक थे। फिर अल्लाह ने तुम्हें उनके मुक़ाबले से हटा दिया, ताकि वह तुम्हारी परीक्षा ले। फिर भी उसने तुम्हें क्षमा कर दिया, क्योंकि अल्लाह ईमानवालों के लिए बड़ा अनुग्राही है

Tafseer (तफ़सीर )

إِذْ
जब
تُصْعِدُونَ
तुम चढ़े जा रहे थे
وَلَا
और ना
تَلْوُۥنَ
तुम मुड़कर देखते थे
عَلَىٰٓ
किसी एक को
أَحَدٍ
किसी एक को
وَٱلرَّسُولُ
और रसूल
يَدْعُوكُمْ
बुला रहे थे तुम्हें
فِىٓ
तुम्हारे पीछे से
أُخْرَىٰكُمْ
तुम्हारे पीछे से
فَأَثَٰبَكُمْ
तो उसने दिया तुम्हें
غَمًّۢا
ग़म
بِغَمٍّ
साथ ग़म के
لِّكَيْلَا
ताकि ना
تَحْزَنُوا۟
तुम रंज करो
عَلَىٰ
उस पर
مَا
जो
فَاتَكُمْ
छिन गया तुम से
وَلَا
और ना
مَآ
जो
أَصَٰبَكُمْۗ
पहुँचा तुम्हें
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
خَبِيرٌۢ
ख़ूब ख़बर रखने वाला है
بِمَا
उसकी जो
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो

Ith tus'idoona wala talwoona 'ala ahadin waalrrasoolu yad'ookum fee okhrakum faathabakum ghamman bighammin likayla tahzanoo 'ala ma fatakum wala ma asabakum waAllahu khabeerun bima ta'maloona

जब तुम लोग दूर भागे चले जा रहे थे और किसी को मुड़कर देखते तक न थे और रसूल तुम्हें पुकार रहा था, जबकि वह तुम्हारी दूसरी टुकड़ी के साथ था (जो भागी नहीं), तो अल्लाह ने तुम्हें शोक पर शोक दिया, ताकि तुम्हारे हाथ से कोई चीज़ निकल जाए या तुमपर कोई मुसीबत आए तो तुम शोकाकुल न हो। और जो कुछ भी तुम करते हो, अल्लाह उसकी भली-भाँति ख़बर रखता है

Tafseer (तफ़सीर )

ثُمَّ
फिर
أَنزَلَ
उसने उतारा
عَلَيْكُم
तुम पर
مِّنۢ
बाद
بَعْدِ
बाद
ٱلْغَمِّ
ग़म के
أَمَنَةً
अमन
نُّعَاسًا
एक ऊँघ
يَغْشَىٰ
ढाँप लिया उसने
طَآئِفَةً
एक गिरोह को
مِّنكُمْۖ
तुम में से
وَطَآئِفَةٌ
और एक गिरोह
قَدْ
तहक़ीक़
أَهَمَّتْهُمْ
फ़िक्र में डाला उन्हें
أَنفُسُهُمْ
उनके नफ़्सों ने
يَظُنُّونَ
वो गुमान कर रहे थे
بِٱللَّهِ
अल्लाह के बारे में
غَيْرَ
नाहक़
ٱلْحَقِّ
नाहक़
ظَنَّ
गुमान करना
ٱلْجَٰهِلِيَّةِۖ
जाहिलियत का
يَقُولُونَ
वो कह रहे थे
هَل
क्या है
لَّنَا
हमारे लिए
مِنَ
मामले में से
ٱلْأَمْرِ
मामले में से
مِن
कोई चीज़
شَىْءٍۗ
कोई चीज़
قُلْ
कह दीजिए
إِنَّ
बेशक
ٱلْأَمْرَ
मामला
كُلَّهُۥ
सब का सब
لِلَّهِۗ
अल्लाह ही के लिए है
يُخْفُونَ
वो छुपा रहे थे
فِىٓ
अपने नफ़्सों में
أَنفُسِهِم
अपने नफ़्सों में
مَّا
जो
لَا
नहीं वो ज़ाहिर कर रहे थे
يُبْدُونَ
नहीं वो ज़ाहिर कर रहे थे
لَكَۖ
आपके लिए
يَقُولُونَ
वो कह रहे थे
لَوْ
अगर
كَانَ
होता
لَنَا
हमारे लिए
مِنَ
मामले में से
ٱلْأَمْرِ
मामले में से
شَىْءٌ
कुछ भी
مَّا
ना
قُتِلْنَا
क़त्ल किए जाते हम
هَٰهُنَاۗ
उस जगह
قُل
कह दीजिए
لَّوْ
अगर
كُنتُمْ
होते तुम
فِى
अपने घरों में
بُيُوتِكُمْ
अपने घरों में
لَبَرَزَ
अलबत्ता निकल पड़ते
ٱلَّذِينَ
वो जो
كُتِبَ
लिख दिया गया था
عَلَيْهِمُ
जिन पर
ٱلْقَتْلُ
क़त्ल होना
إِلَىٰ
तरफ़
مَضَاجِعِهِمْۖ
अपने (सोने) मौत के मक़ामात के
وَلِيَبْتَلِىَ
और ताकि आज़मा ले
ٱللَّهُ
अल्लाह
مَا
उसको जो
فِى
तुम्हारे सीनों में है
صُدُورِكُمْ
तुम्हारे सीनों में है
وَلِيُمَحِّصَ
और ताकि वो ख़ालिस कर दे
مَا
उसको जो
فِى
तुम्हारे दिलों में है
قُلُوبِكُمْۗ
तुम्हारे दिलों में है
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
عَلِيمٌۢ
ख़ूब जानने वाला है
بِذَاتِ
सीनों वाले (भेद)
ٱلصُّدُورِ
सीनों वाले (भेद)

Thumma anzala 'alaykum min ba'di alghammi amanatan nu'asan yaghsha taifatan minkum wataifatun qad ahammathum anfusuhum yathunnoona biAllahi ghayra alhaqqi thanna aljahiliyyati yaqooloona hal lana mina alamri min shayin qul inna alamra kullahu lillahi yukhfoona fee anfusihim ma la yubdoona laka yaqooloona law kana lana mina alamri shayon ma qutilna hahuna qul law kuntum fee buyootikum labaraza allatheena kutiba 'alayhimu alqatlu ila madaji'ihim waliyabtaliya Allahu ma fee sudoorikum waliyumahhisa ma fee quloobikum waAllahu 'aleemun bithati alssudoori

फिर इस शोक के पश्चात उसने तुमपर एक शान्ति उतारी - एक निद्रा, जो तुममें से कुछ लोगों को घेर रही थी और कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्हें अपने प्राणों की चिन्ता थी। वे अल्लाह के विषय में ऐसा ख़याल कर रहे थे, जो सत्य के सर्वथा प्रतिकूल, अज्ञान (काल) का ख़याल था। वे कहते थे, 'इन मामलों में क्या हमारा भी कुछ अधिकार है?' कह दो, 'मामले तो सबके सब अल्लाह के (हाथ में) हैं।' वे जो कुछ अपने दिलों में छिपाए रखते है, तुमपर ज़ाहिर नहीं करते। कहते है, 'यदि इस मामले में हमारा भी कुछ अधिकार होता तो हम यहाँ मारे न जाते।' कह दो, 'यदि तुम अपने घरों में भी होते, तो भी जिन लोगों का क़त्ल होना तय था, वे निकलकर अपने अन्तिम शयन-स्थलों कर पहुँचकर रहते।' और यह इसलिए भी था कि जो कुछ तुम्हारे सीनों में है, अल्लाह उसे परख ले और जो कुछ तुम्हारे दिलों में है उसे साफ़ कर दे। और अल्लाह दिलों का हाल भली-भाँति जानता है

Tafseer (तफ़सीर )

إِنَّ
बेशक
ٱلَّذِينَ
वो जो
تَوَلَّوْا۟
फिर गए
مِنكُمْ
तुम में से
يَوْمَ
जिस दिन
ٱلْتَقَى
आमने सामने हुईं
ٱلْجَمْعَانِ
दो जमाअतें
إِنَّمَا
बेशक
ٱسْتَزَلَّهُمُ
फुसलाया था उन्हें
ٱلشَّيْطَٰنُ
शैतान ने
بِبَعْضِ
बवजह बाज़ (आमाल) के
مَا
जो
كَسَبُوا۟ۖ
उन्होंने कमाए
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
عَفَا
दरगुज़र किया
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
عَنْهُمْۗ
उनसे
إِنَّ
बेशक
ٱللَّهَ
अल्लाह
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
حَلِيمٌ
बहुत बुर्दबार है

Inna allatheena tawallaw minkum yawma iltaqa aljam'ani innama istazallahumu alshshaytanu biba'di ma kasaboo walaqad 'afa Allahu 'anhum inna Allaha ghafoorun haleemun

तुममें से जो लोग दोनों गिरोहों की मुठभेड़ के दिन पीठ दिखा गए, उन्हें तो शैतान ही ने उनकी कुछ कमाई (कर्म) का कारण विचलित कर दिया था। और अल्लाह तो उन्हें क्षमा कर चुका है। निस्संदेह अल्लाह बड़ा क्षमा करनेवाला, सहनशील है

Tafseer (तफ़सीर )

يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
لَا
ना तुम हो जाओ
تَكُونُوا۟
ना तुम हो जाओ
كَٱلَّذِينَ
उनकी तरह
كَفَرُوا۟
जिन्होंने कुफ़्र किया
وَقَالُوا۟
और उन्होंने कहा
لِإِخْوَٰنِهِمْ
अपने भाईंयों को
إِذَا
जब
ضَرَبُوا۟
वो चले फिरे
فِى
ज़मीन में
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
أَوْ
या
كَانُوا۟
थे वो
غُزًّى
ग़ाज़ी/लड़ने वाले
لَّوْ
अगर
كَانُوا۟
होते वो
عِندَنَا
पास हमारे
مَا
ना
مَاتُوا۟
वो मरते
وَمَا
और ना
قُتِلُوا۟
वो क़त्ल किए जाते
لِيَجْعَلَ
ताकि बना दे
ٱللَّهُ
अल्लाह
ذَٰلِكَ
उसको
حَسْرَةً
हसरत का सबब
فِى
उनके दिलों में
قُلُوبِهِمْۗ
उनके दिलों में
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
يُحْىِۦ
ज़िन्दा करता है
وَيُمِيتُۗ
और वो मौत देता है
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
بِمَا
उसे जो
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
بَصِيرٌ
ख़ूब देखने वाला है

Ya ayyuha allatheena amanoo la takoonoo kaallatheena kafaroo waqaloo liikhwanihim itha daraboo fee alardi aw kanoo ghuzzan law kanoo 'indana ma matoo wama qutiloo liyaj'ala Allahu thalika hasratan fee quloobihim waAllahu yuhyee wayumeetu waAllahu bima ta'maloona baseerun

ऐ ईमान लानेवालो! उन लोगों की तरह न हो जाना जिन्होंने इनकार किया और अपने भाईयों के विषय में, जबकि वे सफ़र में गए हों या युद्ध में हो (और उनकी वहाँ मृत्यु हो जाए तो) कहते है, 'यदि वे हमारे पास होते तो न मरते और न क़त्ल होते।' (ऐसी बातें तो इसलिए होती है) ताकि अल्लाह उनको उनके दिलों में घर करनेवाला पछतावा और सन्ताप बना दे। अल्लाह ही जीवन प्रदान करने और मृत्यु देनेवाला है। और तुम जो कुछ भी कर रहे हो वह अल्लाह की स्पष्ट में है

Tafseer (तफ़सीर )

وَلَئِن
और अलबत्ता अगर
قُتِلْتُمْ
क़त्ल किए जाओ तुम
فِى
अल्लाह के रास्ते में
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते में
أَوْ
या
مُتُّمْ
मर जाओ तुम
لَمَغْفِرَةٌ
अलबत्ता बख़्शिश
مِّنَ
अल्लाह की तरफ़ से
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
وَرَحْمَةٌ
और रहमत
خَيْرٌ
बहुत बेहतर है
مِّمَّا
उससे जो
يَجْمَعُونَ
वो जमा कर रहे हैं

Walain qutiltum fee sabeeli Allahi aw muttum lamaghfiratun mina Allahi warahmatun khayrun mimma yajma'oona

और यदि तुम अल्लाह के मार्ग में मारे गए या मर गए, तो अल्लाह का क्षमादान और उसकी दयालुता तो उससे कहीं उत्तम है, जिसके बटोरने में वे लगे हुए है

Tafseer (तफ़सीर )

وَلَئِن
और अलबत्ता अगर
مُّتُّمْ
मर जाओ तुम
أَوْ
या
قُتِلْتُمْ
क़त्ल किए जाओ तुम
لَإِلَى
अलबत्ता तरफ़
ٱللَّهِ
अल्लाह के
تُحْشَرُونَ
तुम इकट्ठे किए जाओगे

Walain muttum aw qutiltum laila Allahi tuhsharoona

हाँ, यदि तुम मर गए या मारे गए, तो प्रत्येक दशा में तुम अल्लाह ही के पास इकट्ठा किए जाओगे

Tafseer (तफ़सीर )

فَبِمَا
फिर बवजह
رَحْمَةٍ
रहमत के
مِّنَ
अल्लाह की तरफ़ से
ٱللَّهِ
अल्लाह की तरफ़ से
لِنتَ
नर्म हो गए आप
لَهُمْۖ
उनके लिए
وَلَوْ
और अगर
كُنتَ
होते आप
فَظًّا
तुन्दख़ू
غَلِيظَ
सख़्त
ٱلْقَلْبِ
दिल
لَٱنفَضُّوا۟
अलबत्ता वो मुन्तशिर हो जाते
مِنْ
आपके आस पास से
حَوْلِكَۖ
आपके आस पास से
فَٱعْفُ
पस दरगुज़र कीजिए
عَنْهُمْ
उनसे
وَٱسْتَغْفِرْ
और बख़्शिश माँगिए
لَهُمْ
उनके लिए
وَشَاوِرْهُمْ
और मशवरा कीजिए उनसे
فِى
मामले में
ٱلْأَمْرِۖ
मामले में
فَإِذَا
फिर जब
عَزَمْتَ
पुख़्ता इरादा करें आप
فَتَوَكَّلْ
तो तवक्कल कीजिए
عَلَى
अल्लाह पर
ٱللَّهِۚ
अल्लाह पर
إِنَّ
बेशक
ٱللَّهَ
अल्लाह
يُحِبُّ
मोहब्बत रखता है
ٱلْمُتَوَكِّلِينَ
तवक्कल करने वालों से

Fabima rahmatin mina Allahi linta lahum walaw kunta faththan ghaleetha alqalbi lainfaddoo min hawlika fao'fu 'anhum waistaghfir lahum washawirhum fee alamri faitha 'azamta fatawakkal 'ala Allahi inna Allaha yuhibbu almutawakkileena

(तुमने तो अपनी दयालुता से उन्हें क्षमा कर दिया) तो अल्लाह की ओर से ही बड़ी दयालुता है जिसके कारण तुम उनके लिए नर्म रहे हो, यदि कहीं तुम स्वभाव के क्रूर और कठोर हृदय होते तो ये सब तुम्हारे पास से छँट जाते। अतः उन्हें क्षमा कर दो और उनके लिए क्षमा की प्रार्थना करो। और मामलों में उनसे परामर्श कर लिया करो। फिर जब तुम्हारे संकल्प किसी सम्मति पर सुदृढ़ हो जाएँ तो अल्लाह पर भरोसा करो। निस्संदेह अल्लाह को वे लोग प्रिय है जो उसपर भरोसा करते है

Tafseer (तफ़सीर )

إِن
अगर
يَنصُرْكُمُ
मदद करे तुम्हारी
ٱللَّهُ
अल्लाह
فَلَا
तो नहीं
غَالِبَ
कोई ग़ालिब आने वाला
لَكُمْۖ
तुम पर
وَإِن
और अगर
يَخْذُلْكُمْ
वो छोड़ दे तुम्हें
فَمَن
तो कौन है
ذَا
वो जो
ٱلَّذِى
वो जो
يَنصُرُكُم
मदद करेगा तुम्हारी
مِّنۢ
बाद उसके
بَعْدِهِۦۗ
बाद उसके
وَعَلَى
और अल्लाह ही पर
ٱللَّهِ
और अल्लाह ही पर
فَلْيَتَوَكَّلِ
पस चाहिए कि तवक्कल किया करें
ٱلْمُؤْمِنُونَ
ईमान वाले

In yansurkumu Allahu fala ghaliba lakum wain yakhthulkum faman tha allathee yansurukum min ba'dihi wa'ala Allahi falyatawakkali almuminoona

यदि अल्लाह तुम्हारी सहायता करे, तो कोई तुमपर प्रभावी नहीं हो सकता। और यदि वह तुम्हें छोड़ दे, तो फिर कौन हो जो उसके पश्चात तुम्हारी सहायता कर सके। अतः ईमानवालों को अल्लाह ही पर भरोसा रखना चाहिए

Tafseer (तफ़सीर )