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وَإِذَا
और जब
طَلَّقْتُمُ
तुम तलाक़ दे दो
ٱلنِّسَآءَ
औरतों को
فَبَلَغْنَ
फिर वो पहुँचें
أَجَلَهُنَّ
अपनी मुद्दत को
فَأَمْسِكُوهُنَّ
तो रोक लो उन्हें
بِمَعْرُوفٍ
साथ भले तरीक़े के
أَوْ
या
سَرِّحُوهُنَّ
रुख़्सत कर दो उन्हें
بِمَعْرُوفٍۚ
साथ भले तरीक़े के
وَلَا
और ना
تُمْسِكُوهُنَّ
तुम रोके रखो उन्हें
ضِرَارًا
तकलीफ़ देने के लिए
لِّتَعْتَدُوا۟ۚ
ताकि तुम ज़्यादती करो
وَمَن
और जो कोई
يَفْعَلْ
करेगा
ذَٰلِكَ
ऐसा
فَقَدْ
तो तहक़ीक
ظَلَمَ
उसने ज़ुल्म किया
نَفْسَهُۥۚ
अपने नफ़्स पर
وَلَا
और ना
تَتَّخِذُوٓا۟
तुम बनाओ
ءَايَٰتِ
अल्लाह की आयात को
ٱللَّهِ
अल्लाह की आयात को
هُزُوًاۚ
मज़ाक़
وَٱذْكُرُوا۟
और याद करो
نِعْمَتَ
नेअमत
ٱللَّهِ
अल्लाह की
عَلَيْكُمْ
जो तुम पर है
وَمَآ
और जो
أَنزَلَ
उसने नाज़िल किया
عَلَيْكُم
तुम पर
مِّنَ
किताब से
ٱلْكِتَٰبِ
किताब से
وَٱلْحِكْمَةِ
और हिकमत से
يَعِظُكُم
वो नसीहत करता है तुम्हें
بِهِۦۚ
साथ उसके
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
ٱللَّهَ
अल्लाह से
وَٱعْلَمُوٓا۟
और जान लो
أَنَّ
बेशक
ٱللَّهَ
अल्लाह
بِكُلِّ
हर
شَىْءٍ
चीज़ को
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है

Waitha tallaqtumu alnnisaa fabalaghna ajalahunna faamsikoohunna bima'roofin aw sarrihoohunna bima'roofin wala tumsikoohunna diraran lita'tadoo waman yaf'al thalika faqad thalama nafsahu wala tattakhithoo ayati Allahi huzuwan waothkuroo ni'mata Allahi 'alaykum wama anzala 'alaykum mina alkitabi waalhikmati ya'ithukum bihi waittaqoo Allaha wai'lamoo anna Allaha bikulli shayin 'aleemun

और यदि जब तुम स्त्रियों को तलाक़ दे दो और वे अपनी निश्चित अवधि (इद्दत) को पहुँच जाएँ, जो सामान्य नियम के अनुसार उन्हें रोक लो या सामान्य नियम के अनुसार उन्हें विदा कर दो। और तुम उन्हें नुक़सान पहुँचाने के ध्येय से न रोको कि ज़्यादती करो। और जो ऐसा करेगा, तो उसने स्वयं अपने ही ऊपर ज़ुल्म किया। और अल्लाह की आयतों को परिहास का विषय न बनाओ, और अल्लाह की कृपा जो तुम पर हुई है उसे याद रखो और उस किताब और तत्वदर्शिता (हिकमत) को याद रखो जो उसने तुम पर उतारी है, जिसके द्वारा वह तुम्हें नसीहत करता है। और अल्लाह का डर रखो और भली-भाँति जान लो कि अल्लाह हर चीज को जाननेवाला है

Tafseer (तफ़सीर )

وَإِذَا
और जब
طَلَّقْتُمُ
तलाक़ दे दो तुम
ٱلنِّسَآءَ
औरतों को
فَبَلَغْنَ
फिर वो पहुँचें
أَجَلَهُنَّ
अपनी मुद्दत को
فَلَا
तो ना
تَعْضُلُوهُنَّ
तुम रोको उन्हें
أَن
कि
يَنكِحْنَ
वो निकाह कर लें
أَزْوَٰجَهُنَّ
अपने शौहरों से
إِذَا
जब
تَرَٰضَوْا۟
वो बाहम रज़ामंद हो जाऐं
بَيْنَهُم
आपस में
بِٱلْمَعْرُوفِۗ
भले तरीक़े से
ذَٰلِكَ
ये (बात)
يُوعَظُ
नसीहत की जाती है
بِهِۦ
साथ इसके
مَن
उसको जो
كَانَ
हो
مِنكُمْ
तुम में से
يُؤْمِنُ
ईमान रखता
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
وَٱلْيَوْمِ
और आख़िरी दिन पर
ٱلْءَاخِرِۗ
और आख़िरी दिन पर
ذَٰلِكُمْ
ये (बात)
أَزْكَىٰ
ज़्यादा पाकीज़ा है
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
وَأَطْهَرُۗ
और ज़्यादा पाक है
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
يَعْلَمُ
जानता है
وَأَنتُمْ
और तुम
لَا
नहीं तुम जानते
تَعْلَمُونَ
नहीं तुम जानते

Waitha tallaqtumu alnnisaa fabalaghna ajalahunna fala ta'duloohunna an yankihna azwajahunna itha taradaw baynahum bialma'roofi thalika yoo'athu bihi man kana minkum yuminu biAllahi waalyawmi alakhiri thalikum azka lakum waatharu waAllahu ya'lamu waantum la ta'lamoona

और जब तुम स्त्रियों को तलाक़ दे दो और वे अपनी निर्धारित अवधि (इद्दत) को पहुँच जाएँ, तो उन्हें अपने होनेवाले दूसरे पतियों से विवाह करने से न रोको, जबकि वे सामान्य नियम के अनुसार परस्पर रज़ामन्दी से मामला तय करें। यह नसीहत तुममें से उसको की जा रही है जो अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखता है। यही तुम्हारे लिए ज़्यादा बरकतवाला और सुथरा तरीक़ा है। और अल्लाह जानता है, तुम नहीं जानते

Tafseer (तफ़सीर )

وَٱلْوَٰلِدَٰتُ
और माँऐं
يُرْضِعْنَ
दूध पिलाऐं
أَوْلَٰدَهُنَّ
अपनी औलाद को
حَوْلَيْنِ
दो साल
كَامِلَيْنِۖ
मुकम्मल
لِمَنْ
उसके लिए जो
أَرَادَ
इरादा करे
أَن
कि
يُتِمَّ
वो पूरा करे
ٱلرَّضَاعَةَۚ
रज़ाअत की मुद्दत
وَعَلَى
और ऊपर
ٱلْمَوْلُودِ
उस (वालिद) के बच्चा है जिसका
لَهُۥ
उस (वालिद) के बच्चा है जिसका
رِزْقُهُنَّ
ख़ुराक है उन औरतों की
وَكِسْوَتُهُنَّ
और लिबास है उन औरतों का
بِٱلْمَعْرُوفِۚ
भले तरीक़े से
لَا
ना तकलीफ़ दिया जाए
تُكَلَّفُ
ना तकलीफ़ दिया जाए
نَفْسٌ
कोई नफ़्स
إِلَّا
मगर
وُسْعَهَاۚ
उसकी वुसअत के मुताबिक़
لَا
ना नुक़सान पहुँचाया जाए
تُضَآرَّ
ना नुक़सान पहुँचाया जाए
وَٰلِدَةٌۢ
वालिदा को
بِوَلَدِهَا
उसके बच्चे की वजह से
وَلَا
और ना
مَوْلُودٌ
वालिद को
لَّهُۥ
वालिद को
بِوَلَدِهِۦۚ
उसके बच्चे की वजह से
وَعَلَى
और ऊपर
ٱلْوَارِثِ
वारिस के है
مِثْلُ
मिसल
ذَٰلِكَۗ
उसी के
فَإِنْ
फिर अगर
أَرَادَا
वो दोनों इरादा कर लें
فِصَالًا
दूध छुड़ाने का
عَن
बाहम रज़ामंदी से
تَرَاضٍ
बाहम रज़ामंदी से
مِّنْهُمَا
उन दोनों की
وَتَشَاوُرٍ
और बाहम मशवरे से
فَلَا
तो नहीं
جُنَاحَ
कोई गुनाह
عَلَيْهِمَاۗ
उन दोनों पर
وَإِنْ
और अगर
أَرَدتُّمْ
इरादा करो तुम
أَن
कि
تَسْتَرْضِعُوٓا۟
तुम दूध पिलवाओ
أَوْلَٰدَكُمْ
अपनी औलाद को
فَلَا
तो नहीं
جُنَاحَ
कोई गुनाह
عَلَيْكُمْ
तुम पर
إِذَا
जब
سَلَّمْتُم
सुपुर्द कर दो तुम
مَّآ
जो
ءَاتَيْتُم
देना था तुमने
بِٱلْمَعْرُوفِۗ
मारूफ़ तरीक़े से
وَٱتَّقُوا۟
और डरो
ٱللَّهَ
अल्लाह से
وَٱعْلَمُوٓا۟
और जान लो
أَنَّ
बेशक
ٱللَّهَ
अल्लाह
بِمَا
उसे जो
تَعْمَلُونَ
तुम करते हो
بَصِيرٌ
ख़ूब देखने वाला है

Waalwalidatu yurdi'na awladahunna hawlayni kamilayni liman arada an yutimma alrrada'ata wa'ala almawloodi lahu rizquhunna wakiswatuhunna bialma'roofi la tukallafu nafsun illa wus'aha la tudarra walidatun biwaladiha wala mawloodun lahu biwaladihi wa'ala alwarithi mithlu thalika fain arada fisalan 'an taradin minhuma watashawurin fala junaha 'alayhima wain aradtum an tastardi'oo awladakum fala junaha 'alaykum itha sallamtum ma ataytum bialma'roofi waittaqoo Allaha wai'lamoo anna Allaha bima ta'maloona baseerun

और जो कोई पूरी अवधि तक (बच्चे को) दूध पिलवाना चाहे, तो माएँ अपने बच्चों को पूरे दो वर्ष तक दूध पिलाएँ। और वह जिसका बच्चा है, सामान्य नियम के अनुसार उनके खाने और उनके कपड़े का ज़िम्मेदार है। किसी पर बस उसकी अपनी समाई भर ही ज़िम्मेदारी है, न तो कोई माँ अपने बच्चे के कारण (बच्चे के बाप को) नुक़सान पहुँचाए और न बाप अपने बच्चे के कारण (बच्चे की माँ को) नुक़सान पहुँचाए। और इसी प्रकार की ज़िम्मेदारी उसके वारिस पर भी आती है। फिर यदि दोनों पारस्परिक स्वेच्छा और परामर्श से दूध छुड़ाना चाहें तो उनपर कोई गुनाह नहीं। और यदि तुम अपनी संतान को किसी अन्य स्त्री से दूध पिलवाना चाहो तो इसमें भी तुम पर कोई गुनाह नहीं, जबकि तुमने जो कुछ बदले में देने का वादा किया हो, सामान्य नियम के अनुसार उसे चुका दो। और अल्लाह का डर रखो और भली-भाँति जान लो कि जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उसे देख रहा है

Tafseer (तफ़सीर )

وَٱلَّذِينَ
और वो जो
يُتَوَفَّوْنَ
फ़ौत कर लिए जाते हैं
مِنكُمْ
तुम में से
وَيَذَرُونَ
और वो छोड़ जाते हैं
أَزْوَٰجًا
बीवियाँ
يَتَرَبَّصْنَ
वो इन्तिज़ार में रखें
بِأَنفُسِهِنَّ
अपने आपको
أَرْبَعَةَ
चार
أَشْهُرٍ
महीने
وَعَشْرًاۖ
और दस (दिन)
فَإِذَا
फिर जब
بَلَغْنَ
वो पहुँचें
أَجَلَهُنَّ
अपनी इद्दत को
فَلَا
तो नहीं
جُنَاحَ
कोई गुनाह
عَلَيْكُمْ
तुम पर
فِيمَا
उस में जो
فَعَلْنَ
वो करें
فِىٓ
अपने नफ़्सों के बारे में
أَنفُسِهِنَّ
अपने नफ़्सों के बारे में
بِٱلْمَعْرُوفِۗ
मारूफ़ तरीक़े से
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
بِمَا
उसकी जो
تَعْمَلُونَ
तुम करते हो
خَبِيرٌ
ख़ूब ख़बर रखने वाला है

Waallatheena yutawaffawna minkum wayatharoona azwajan yatarabbasna bianfusihinna arba'ata ashhurin wa'ashran faitha balaghna ajalahunna fala junaha 'alaykum feema fa'alna fee anfusihinna bialma'roofi waAllahu bima ta'maloona khabeerun

और तुममें से जो लोग मर जाएँ और अपने पीछे पत्नियों छोड़ जाएँ, तो वे पत्नियों अपने-आपको चार महीने और दस दिन तक रोके रखें। फिर जब वे अपनी निर्धारित अवधि (इद्दत) को पहुँच जाएँ, तो सामान्य नियम के अनुसार वे अपने लिए जो कुछ करें, उसमें तुमपर कोई गुनाह नहीं। जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उसकी ख़बर रखता है

Tafseer (तफ़सीर )

وَلَا
और नहीं
جُنَاحَ
कोई गुनाह
عَلَيْكُمْ
तुम पर
فِيمَا
उस में जो
عَرَّضْتُم
इशारा करो तुम
بِهِۦ
साथ उसके
مِنْ
पैग़ामे निकाह से
خِطْبَةِ
पैग़ामे निकाह से
ٱلنِّسَآءِ
औरतों के
أَوْ
या
أَكْنَنتُمْ
छुपाए रखो तुम
فِىٓ
अपने नफ़्सों में
أَنفُسِكُمْۚ
अपने नफ़्सों में
عَلِمَ
जानता है
ٱللَّهُ
अल्लाह
أَنَّكُمْ
कि बेशक तुम
سَتَذْكُرُونَهُنَّ
ज़रूर तुम ज़िक्र करोगे उनका
وَلَٰكِن
और लेकिन
لَّا
ना तुम वादा लो उनसे
تُوَاعِدُوهُنَّ
ना तुम वादा लो उनसे
سِرًّا
छुप कर
إِلَّآ
मगर
أَن
ये कि
تَقُولُوا۟
तुम कहो
قَوْلًا
बात
مَّعْرُوفًاۚ
भली
وَلَا
और ना
تَعْزِمُوا۟
तुम अज़म करो
عُقْدَةَ
अक़द का
ٱلنِّكَاحِ
निकाह के
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
يَبْلُغَ
पहुँच जाए
ٱلْكِتَٰبُ
मुक़र्रर मियाद
أَجَلَهُۥۚ
अपनी मुद्दत को
وَٱعْلَمُوٓا۟
और जान लो
أَنَّ
बेशक
ٱللَّهَ
अल्लाह
يَعْلَمُ
जानता है
مَا
उसे जो
فِىٓ
तुम्हारे नफ़्सों में है
أَنفُسِكُمْ
तुम्हारे नफ़्सों में है
فَٱحْذَرُوهُۚ
पस डरो उससे
وَٱعْلَمُوٓا۟
और जान लो
أَنَّ
बेशक
ٱللَّهَ
अल्लाह
غَفُورٌ
बहुत बख़्शने वाला है
حَلِيمٌ
बहुत बुर्दबार है

Wala junaha 'alaykum feema 'arradtum bihi min khitbati alnnisai aw aknantum fee anfusikum 'alima Allahu annakum satathkuroonahunna walakin la tuwa'idoohunna sirran illa an taqooloo qawlan ma'roofan wala ta'zimoo 'uqdata alnnikahi hatta yablugha alkitabu ajalahu wai'lamoo anna Allaha ya'lamu ma fee anfusikum faihtharoohu wai'lamoo anna Allaha ghafoorun haleemun

और इसमें भी तुम पर कोई गुनाह नहीं जो तुम उन औरतों को विवाह के सन्देश सांकेतिक रूप से दो या अपने मन में छिपाए रखो। अल्लाह जानता है कि तुम उन्हें याद करोगे, परन्तु छिपकर उन्हें वचन न देना, सिवाय इसके कि सामान्य नियम के अनुसार कोई बात कह दो। और जब तक निर्धारित अवधि (इद्दत) पूरी न हो जाए, विवाह का नाता जोड़ने का निश्चय न करो। जान रखो कि अल्लाह तुम्हारे मन की बात भी जानता है। अतः उससे सावधान रहो और अल्लाह अत्यन्त क्षमा करनेवाला, सहनशील है

Tafseer (तफ़सीर )

لَّا
नहीं कोई गुनाह
جُنَاحَ
नहीं कोई गुनाह
عَلَيْكُمْ
तुम पर
إِن
अगर
طَلَّقْتُمُ
तलाक़ दे दो तुम
ٱلنِّسَآءَ
औरतों को
مَا
जब कि
لَمْ
ना
تَمَسُّوهُنَّ
तुमने छुआ हो उन्हें
أَوْ
या
تَفْرِضُوا۟
तुमने मुक़र्रर किया
لَهُنَّ
उनके लिए
فَرِيضَةًۚ
कोई महर
وَمَتِّعُوهُنَّ
और माल व मता दो उन्हें
عَلَى
ऊपर वुसअत वाले के
ٱلْمُوسِعِ
ऊपर वुसअत वाले के
قَدَرُهُۥ
उसकी वुसअत के मुताबिक़
وَعَلَى
और ऊपर
ٱلْمُقْتِرِ
तंगदस्त के
قَدَرُهُۥ
उसकी वुसअत के मुताबिक़
مَتَٰعًۢا
फ़ायदा पहुँचाना है
بِٱلْمَعْرُوفِۖ
भले तरीक़े से
حَقًّا
हक़ है
عَلَى
ऊपर
ٱلْمُحْسِنِينَ
नेकी करने वालों के

La junaha 'alaykum in tallaqtumu alnnisaa ma lam tamassoohunna aw tafridoo lahunna fareedatan wamatti'oohunna 'ala almoosi'i qadaruhu wa'ala almuqtiri qadaruhu mata'an bialma'roofi haqqan 'ala almuhsineena

यदि तुम स्त्रियों को इस स्थिति मे तलाक़ दे दो कि यह नौबत पेश न आई हो कि तुमने उन्हें हाथ लगाया हो और उनका कुछ हक़ (मह्रन) निश्चित किया हो, तो तुमपर कोई भार नहीं। हाँ, सामान्य नियम के अनुसार उन्हें कुछ ख़र्च दो - समाई रखनेवाले पर उसकी अपनी हैसियत के अनुसार और तंगदस्त पर उसकी अपनी हैसियत के अनुसार अनिवार्य है - यह अच्छे लोगों पर एक हक़ है

Tafseer (तफ़सीर )

وَإِن
और अगर
طَلَّقْتُمُوهُنَّ
तलाक़ दे दो तुम
مِن
इससे पहले
قَبْلِ
इससे पहले
أَن
कि
تَمَسُّوهُنَّ
तुमने छुआ उन्हें
وَقَدْ
और तहक़ीक़
فَرَضْتُمْ
मुक़र्रर कर दिया था तुमने
لَهُنَّ
उनके लिए
فَرِيضَةً
कोई महर
فَنِصْفُ
तो आधा है
مَا
उसका जो
فَرَضْتُمْ
मुक़र्रर कर चुके तुम (महर)
إِلَّآ
मगर
أَن
ये कि
يَعْفُونَ
वो (औरतें) माफ़ कर दें
أَوْ
या
يَعْفُوَا۟
माफ़ कर दे
ٱلَّذِى
वो शख़्स
بِيَدِهِۦ
जिसके हाथ में है
عُقْدَةُ
गिरह
ٱلنِّكَاحِۚ
निकाह की
وَأَن
और ये कि
تَعْفُوٓا۟
तुम माफ़ कर दो
أَقْرَبُ
ज़्यादा क़रीब है
لِلتَّقْوَىٰۚ
तक़वा के
وَلَا
और ना
تَنسَوُا۟
तुम भूलो
ٱلْفَضْلَ
एहसान को
بَيْنَكُمْۚ
आपस में
إِنَّ
बेशक
ٱللَّهَ
अल्लाह
بِمَا
उसे जो
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
بَصِيرٌ
ख़ूब देखने वाला है

Wain tallaqtumoohunna min qabli an tamassoohunna waqad faradtum lahunna fareedatan fanisfu ma faradtum illa an ya'foona aw ya'fuwa allathee biyadihi 'uqdatu alnnikahi waan ta'foo aqrabu lilttaqwa wala tansawoo alfadla baynakum inna Allaha bima ta'maloona baseerun

और यदि तुम उन्हें हाथ लगाने से पहले तलाक़ दे दो, किन्तु उसका मह्र- निश्चित कर चुके हो, तो जो मह्रह तुमने निश्चित किया है उसका आधा अदा करना होगा, यह और बात है कि वे स्वयं छोड़ दे या पुरुष जिसके हाथ में विवाह का सूत्र है, वह नर्मी से काम ले (और मह्र पूरा अदा कर दे) । और यह कि तुम नर्मी से काम लो तो यह परहेज़गारी से ज़्यादा क़रीब है और तुम एक-दूसरे को हक़ से बढ़कर देना न भूलो। निश्चय ही अल्लाह उसे देख रहा है, जो तुम करते हो

Tafseer (तफ़सीर )

حَٰفِظُوا۟
हिफ़ाज़त करो
عَلَى
सब नमाज़ों की
ٱلصَّلَوَٰتِ
सब नमाज़ों की
وَٱلصَّلَوٰةِ
और नमाज़
ٱلْوُسْطَىٰ
दर्मियानी की
وَقُومُوا۟
और खड़े हो जाओ
لِلَّهِ
अल्लाह के लिए
قَٰنِتِينَ
फ़रमाबरदार बन कर

Hafithoo 'ala alssalawati waalssalati alwusta waqoomoo lillahi qaniteena

सदैव नमाज़ो की और अच्छी नमाज़ों की पाबन्दी करो, और अल्लाह के आगे पूरे विनीत और शान्तभाव से खड़े हुआ करो

Tafseer (तफ़सीर )

فَإِنْ
फिर अगर
خِفْتُمْ
ख़ौफ़ हो तुम्हें
فَرِجَالًا
तो पैदल (पढ़ लो)
أَوْ
या
رُكْبَانًاۖ
सवार होकर
فَإِذَآ
फिर जब
أَمِنتُمْ
अमन में आ जाओ तुम
فَٱذْكُرُوا۟
तो याद करो
ٱللَّهَ
अल्लाह को
كَمَا
जैसा कि
عَلَّمَكُم
उसने सिखाया तुम्हें
مَّا
जो
لَمْ
नहीं
تَكُونُوا۟
थे तुम
تَعْلَمُونَ
तुम जानते

Fain khiftum farijalan aw rukbanan faitha amintum faothkuroo Allaha kama 'allamakum ma lam takoonoo ta'lamoona

फिर यदि तुम्हें (शत्रु आदि का) भय हो, तो पैदल या सवार जिस तरह सम्भव हो नमाज़ पढ़ लो। फिर जब निश्चिन्त हो तो अल्लाह को उस प्रकार याद करो जैसाकि उसने तुम्हें सिखाया है, जिसे तुम नहीं जानते थे

Tafseer (तफ़सीर )

وَٱلَّذِينَ
और वो लोग जो
يُتَوَفَّوْنَ
फ़ौत कर लिए जाते हैं
مِنكُمْ
तुम में से
وَيَذَرُونَ
और वो छोड़ जाते हैं
أَزْوَٰجًا
बीवियाँ
وَصِيَّةً
वसीयत (करें)
لِّأَزْوَٰجِهِم
अपनी बीवियों के लिए
مَّتَٰعًا
फ़ायदा पहुँचाने की
إِلَى
एक साल तक
ٱلْحَوْلِ
एक साल तक
غَيْرَ
बग़ैर
إِخْرَاجٍۚ
निकालने के
فَإِنْ
फिर अगर
خَرَجْنَ
वो निकल जाऐं
فَلَا
तो नहीं
جُنَاحَ
कोई गुनाह
عَلَيْكُمْ
तुम पर
فِى
उस मामले में जो
مَا
उस मामले में जो
فَعَلْنَ
वो करें
فِىٓ
अपने नफ़्सों के बारे में
أَنفُسِهِنَّ
अपने नफ़्सों के बारे में
مِن
भले तरीक़े से
مَّعْرُوفٍۗ
भले तरीक़े से
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
عَزِيزٌ
बहुत ज़बरदस्त है
حَكِيمٌ
ख़ूब हिकमत वाला है

Waallatheena yutawaffawna minkum wayatharoona azwajan wasiyyatan liazwajihim mata'an ila alhawli ghayra ikhrajin fain kharajna fala junaha 'alaykum fee ma fa'alna fee anfusihinna min ma'roofin waAllahu 'azeezun hakeemun

और तुममें से जिन लोगों की मृत्यु हो जाए और अपने पीछे पत्नियों छोड़ जाए, अर्थात अपनी पत्नियों के हक़ में यह वसीयत छोड़ जाए कि घर से निकाले बिना एक वर्ष तक उन्हें ख़र्च दिया जाए, तो यदि वे निकल जाएँ तो अपने लिए सामान्य नियम के अनुसार वे जो कुछ भी करें उसमें तुम्हारे लिए कोई दोष नहीं। अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है

Tafseer (तफ़सीर )