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bismillah

إِنَّآ
बेशक हम
أَرْسَلْنَا
भेजा हमने
نُوحًا
नूह को
إِلَىٰ
तरफ़ उसकी क़ौम के
قَوْمِهِۦٓ
तरफ़ उसकी क़ौम के
أَنْ
कि
أَنذِرْ
डराओ
قَوْمَكَ
अपनी क़ौम को
مِن
इससे क़ब्ल
قَبْلِ
इससे क़ब्ल
أَن
कि
يَأْتِيَهُمْ
आए उनके पास
عَذَابٌ
अज़ाब
أَلِيمٌ
दर्दनाक

Inna arsalna noohan ila qawmihi an anthir qawmaka min qabli an yatiyahum 'athabun aleemun

हमने नूह को उसकी कौ़म की ओर भेजा कि 'अपनी क़ौम के लोगों को सावधान कर दो, इससे पहले कि उनपर कोई दुखद यातना आ जाए।'

Tafseer (तफ़सीर )

قَالَ
उसने कहा
يَٰقَوْمِ
ऐ मेरी क़ौम
إِنِّى
बेशक मैं
لَكُمْ
तुम्हारे लिए
نَذِيرٌ
डराने वाला हूँ
مُّبِينٌ
खुल्लम-खुल्ला

Qala ya qawmi innee lakum natheerun mubeenun

उसने कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मैं तुम्हारे लिए एक स्पष्ट सचेतकर्ता हूँ

Tafseer (तफ़सीर )

أَنِ
ये कि
ٱعْبُدُوا۟
इबादत करो
ٱللَّهَ
अल्लाह की
وَٱتَّقُوهُ
और डरो उससे
وَأَطِيعُونِ
और इताअत करो मेरी

Ani o'budoo Allaha waittaqoohu waatee'ooni

कि अल्लाह की बन्दगी करो और उसका डर रखो और मेरी आज्ञा मानो।-

Tafseer (तफ़सीर )

يَغْفِرْ
वो बख़्श देगा
لَكُم
तुम्हारे लिए
مِّن
तुम्हारे गुनाहों को
ذُنُوبِكُمْ
तुम्हारे गुनाहों को
وَيُؤَخِّرْكُمْ
और वो मोहलत देगा तुम्हें
إِلَىٰٓ
एक वक़्त तक
أَجَلٍ
एक वक़्त तक
مُّسَمًّىۚ
जो मुक़र्रर है
إِنَّ
बेशक
أَجَلَ
मुक़र्रर करदा वक़्त
ٱللَّهِ
अल्लाह का
إِذَا
जब
جَآءَ
वो आ जाता है
لَا
तो नहीं मुअख़्ख़र किया जाता
يُؤَخَّرُۖ
तो नहीं मुअख़्ख़र किया जाता
لَوْ
अगर
كُنتُمْ
हो तुम
تَعْلَمُونَ
तुम जानते

Yaghfir lakum min thunoobikum wayuakhkhirkum ila ajalin musamman inna ajala Allahi itha jaa la yuakhkharu law kuntum ta'lamoona

'वह तुम्हें क्षमा करके तुम्हारे गुनाहों से तुम्हें पाक कर देगा और एक निश्चित समय तक तुम्हे मुहल्लत देगा। निश्चय ही जब अल्लाह का निश्चित समय आ जाता है तो वह टलता नहीं, काश कि तुम जानते!'

Tafseer (तफ़सीर )

قَالَ
उसने कहा
رَبِّ
ऐ मेरे रब
إِنِّى
बेशक मैं
دَعَوْتُ
पुकारा मैं ने
قَوْمِى
अपनी क़ौम को
لَيْلًا
रात
وَنَهَارًا
और दिन

Qala rabbi innee da'awtu qawmee laylan wanaharan

उसने कहा, 'ऐ मेरे रब! मैंने अपनी क़ौम के लोगों को रात और दिन बुलाया

Tafseer (तफ़सीर )

فَلَمْ
तो ना
يَزِدْهُمْ
ज़्यादा किया उन्हें
دُعَآءِىٓ
मेरी पुकार ने
إِلَّا
मगर
فِرَارًا
फ़रार में

Falam yazidhum du'aee illa firaran

'किन्तु मेरी पुकार ने उनके पलायन को ही बढ़ाया

Tafseer (तफ़सीर )

وَإِنِّى
और बेशक मैं
كُلَّمَا
जब कभी
دَعَوْتُهُمْ
पुकारा मैं ने उन्हें
لِتَغْفِرَ
ताकि तू बख़्श दे
لَهُمْ
उन्हें
جَعَلُوٓا۟
उन्होंने डाल लीं
أَصَٰبِعَهُمْ
ऊँगलियाँ अपनी
فِىٓ
अपने कानों में
ءَاذَانِهِمْ
अपने कानों में
وَٱسْتَغْشَوْا۟
और उन्होंने ढाँप लिए
ثِيَابَهُمْ
कपड़े अपने
وَأَصَرُّوا۟
और उन्होंने इसरार किया
وَٱسْتَكْبَرُوا۟
और उन्होंने तकब्बुर किया
ٱسْتِكْبَارًا
तकब्बुर करना

Wainnee kullama da'awtuhum litaghfira lahum ja'aloo asabi'ahum fee athanihim waistaghshaw thiyabahum waasarroo waistakbaroo istikbaran

'और जब भी मैंने उन्हें बुलाया, ताकि तू उन्हें क्षमा कर दे, तो उन्होंने अपने कानों में अपनी उँगलियाँ दे लीं और अपने कपड़ो से स्वयं को ढाँक लिया और अपनी हठ पर अड़ गए और बड़ा ही घमंड किया

Tafseer (तफ़सीर )

ثُمَّ
फिर
إِنِّى
बेशक मैं
دَعَوْتُهُمْ
पुकारा मैं ने उन्हें
جِهَارًا
बाआवाज़ बुलन्द

Thumma innee da'awtuhum jiharan

'फिर मैंने उन्हें खुल्लमखुल्ला बुलाया,

Tafseer (तफ़सीर )

ثُمَّ
फिर
إِنِّىٓ
बेशक मैं
أَعْلَنتُ
ऐलानिया कहा मैं ने
لَهُمْ
उन्हें
وَأَسْرَرْتُ
और राज़दाराना बात की मैं ने
لَهُمْ
उन्हें
إِسْرَارًا
और राज़दारना तौर पर

Thumma innee a'lantu lahum waasrartu lahum israran

'फिर मैंने उनसे खुले तौर पर भी बातें की और उनसे चुपके-चुपके भी बातें की

Tafseer (तफ़सीर )

فَقُلْتُ
फिर कहा मैं ने
ٱسْتَغْفِرُوا۟
बख़्शिश माँगो
رَبَّكُمْ
अपने रब से
إِنَّهُۥ
बेशक वो
كَانَ
है वो
غَفَّارًا
बहुत बख़्शने वाला

Faqultu istaghfiroo rabbakum innahu kana ghaffaran

'और मैंने कहा, अपने रब से क्षमा की प्रार्थना करो। निश्चय ही वह बड़ा क्षमाशील है,

Tafseer (तफ़सीर )
कुरान की जानकारी :
नूह
القرآن الكريم:نوح
आयत सजदा (سجدة):-
सूरा (latin):Nuh
सूरा:71
कुल आयत:28
कुल शब्द:224
कुल वर्ण:999
रुकु:2
वर्गीकरण:मक्कन सूरा
Revelation Order:71
से शुरू आयत:5419