Inna arsalna noohan ila qawmihi an anthir qawmaka min qabli an yatiyahum 'athabun aleemun
हमने नूह को उसकी कौ़म की ओर भेजा कि 'अपनी क़ौम के लोगों को सावधान कर दो, इससे पहले कि उनपर कोई दुखद यातना आ जाए।'
Qala ya qawmi innee lakum natheerun mubeenun
उसने कहा, 'ऐ मेरी क़ौम के लोगो! मैं तुम्हारे लिए एक स्पष्ट सचेतकर्ता हूँ
Ani o'budoo Allaha waittaqoohu waatee'ooni
कि अल्लाह की बन्दगी करो और उसका डर रखो और मेरी आज्ञा मानो।-
Yaghfir lakum min thunoobikum wayuakhkhirkum ila ajalin musamman inna ajala Allahi itha jaa la yuakhkharu law kuntum ta'lamoona
'वह तुम्हें क्षमा करके तुम्हारे गुनाहों से तुम्हें पाक कर देगा और एक निश्चित समय तक तुम्हे मुहल्लत देगा। निश्चय ही जब अल्लाह का निश्चित समय आ जाता है तो वह टलता नहीं, काश कि तुम जानते!'
Qala rabbi innee da'awtu qawmee laylan wanaharan
उसने कहा, 'ऐ मेरे रब! मैंने अपनी क़ौम के लोगों को रात और दिन बुलाया
Falam yazidhum du'aee illa firaran
'किन्तु मेरी पुकार ने उनके पलायन को ही बढ़ाया
Wainnee kullama da'awtuhum litaghfira lahum ja'aloo asabi'ahum fee athanihim waistaghshaw thiyabahum waasarroo waistakbaroo istikbaran
'और जब भी मैंने उन्हें बुलाया, ताकि तू उन्हें क्षमा कर दे, तो उन्होंने अपने कानों में अपनी उँगलियाँ दे लीं और अपने कपड़ो से स्वयं को ढाँक लिया और अपनी हठ पर अड़ गए और बड़ा ही घमंड किया
Thumma innee da'awtuhum jiharan
'फिर मैंने उन्हें खुल्लमखुल्ला बुलाया,
Thumma innee a'lantu lahum waasrartu lahum israran
'फिर मैंने उनसे खुले तौर पर भी बातें की और उनसे चुपके-चुपके भी बातें की
Faqultu istaghfiroo rabbakum innahu kana ghaffaran
'और मैंने कहा, अपने रब से क्षमा की प्रार्थना करो। निश्चय ही वह बड़ा क्षमाशील है,
القرآن الكريم: | نوح |
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आयत सजदा (سجدة): | - |
सूरा (latin): | Nuh |
सूरा: | 71 |
कुल आयत: | 28 |
कुल शब्द: | 224 |
कुल वर्ण: | 999 |
रुकु: | 2 |
वर्गीकरण: | मक्कन सूरा |
Revelation Order: | 71 |
से शुरू आयत: | 5419 |